रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से अमेरिका को एक मुख्य भूमिका में देखा जा रहा था, जो न केवल यूक्रेन बल्कि पूरे यूरोप को इस संकट से निकालने में मदद कर सकता था। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद अमेरिका की स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है।
हाल ही में सऊदी अरब की राजधानी रियाद में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच गुप्त वार्ता हुई, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह वार्ता यूक्रेन और यूरोपीय यूनियन (EU) के बिना ही आयोजित की गई।
यूक्रेन ने अमेरिका की कूटनीतिक कमजोरी पर उठाए सवाल
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के सलाहकार मिखाइलो पोडोल्याक ने इस बैठक पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा,
“अमेरिका ने अपनी स्थिति कमजोर कर ली है और यूक्रेन पर किसी भी संभावित शांति वार्ता से पहले रूस को कूटनीतिक नेतृत्व सौंप दिया है।”
ट्रंप के बयान से बढ़ा विवाद
पोडोल्याक की यह प्रतिक्रिया तब आई जब डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया कि यूक्रेन खुद इस युद्ध के लिए जिम्मेदार है। ट्रंप ने यह भी कहा कि ज़ेलेंस्की को चुनाव कराना चाहिए।
यूक्रेन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि युद्ध के दौरान चुनाव कराना असंवैधानिक है।
बिना यूक्रेन के कैसे हो सकती है वार्ता?
यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें न तो इस वार्ता की कोई पूर्व जानकारी दी गई, न ही इसके नतीजों के बारे में बताया गया।
पोडोल्याक ने सवाल उठाते हुए कहा,
“एक हमलावर देश (रूस) को फैसले लेने की शक्ति क्यों दी जानी चाहिए, जब उसने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है और युद्ध छेड़ा है?”
क्या रूस यूक्रेन के चुनाव में दखल देगा?
ट्रंप के चुनाव वाले बयान पर पोडोल्याक ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यूक्रेन में चुनाव होते हैं, तो रूस इसमें हस्तक्षेप करने की पूरी कोशिश करेगा।
उन्होंने कहा,
“पुतिन ज़ेलेंस्की से नफरत करते हैं, क्योंकि वह उन्हें तोड़ नहीं सके। अगर चुनाव हुए, तो रूस दखल देने की पूरी कोशिश करेगा।”
अमेरिका का बदला रुख?
बाइडेन प्रशासन शुरू से ही यूक्रेन का समर्थन करता रहा है, लेकिन ट्रंप की वापसी के साथ अमेरिका के रुख में बदलाव दिख रहा है। रियाद में हुई गुप्त वार्ता और ट्रंप के हालिया बयानों से यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका धीरे-धीरे यूक्रेन से दूरी बना रहा है और रूस को कूटनीतिक बढ़त दे रहा है?
आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या अमेरिका यूक्रेन को समर्थन देना जारी रखेगा, या ट्रंप के प्रभाव में उसकी रणनीति बदल जाएगी।
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