President Donald Trump gestures during the 60th Presidential Inauguration in the Rotunda of the U.S. Capitol in Washington, Monday, Jan. 20, 2025. Julia Demaree Nikhinson/Pool via REUTERS TPX IMAGES OF THE DAY

पनामा नहर पर अमेरिका का कब्जा! ट्रंप ने चीन से छीन ली बड़ी ताकत

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वह कर दिखाया जिसकी वह लंबे समय से योजना बना रहे थे। अपने पहले संसदीय भाषण में ट्रंप ने ऐलान किया कि अब पनामा नहर अमेरिका के नियंत्रण में आ चुकी है। इसे अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में अमेरिका की पहली बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

कैसे हुआ यह ऐतिहासिक सौदा?
हांगकांग स्थित CK हचिसन कंपनी ने पनामा नहर से जुड़े दो प्रमुख बंदरगाहों में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी अमेरिकी फर्म ब्लैकरॉक को 22.8 अरब डॉलर में बेच दी। इस सौदे के तहत, अमेरिका को पनामा नहर से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण बंदरगाहों का भी नियंत्रण मिल गया।

ट्रंप का मास्टरस्ट्रोक: चीन से छिनी पनामा नहर की ताकत!
इस सौदे के बाद अमेरिका ने पनामा नहर पर चीन की पकड़ कमजोर कर दी। राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे अपनी बड़ी जीत बताते हुए कहा,
“मेरा प्रशासन पनामा नहर को फिर से अमेरिका के नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।”

ब्लैकरॉक को क्या मिला इस डील में?
पनामा पोर्ट्स कंपनी के 90% हिस्से पर कब्जा
बाल्बोआ (Balboa) और क्रिस्टोबल (Cristobal) बंदरगाहों का नियंत्रण, जो पनामा नहर के दोनों छोर पर हैं
43 बंदरगाह और 23 देशों में फैले 199 जहाजों के ठहराव स्थान (Berts)
CK हचिसन और चीन का क्या कनेक्शन?
हांगकांग के अरबपति ली का-शिंग की कंपनी CK हचिसन सीधे चीन सरकार के अधीन नहीं है, लेकिन हांगकांग से संचालित होने के कारण यह चीनी वित्तीय कानूनों के अधीन आती है।

डील की घोषणा होते ही बाजार में उछाल!
इस सौदे की खबर आते ही हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज में हलचल मच गई।
CK हचिसन के शेयरों में 24.7% की छलांग देखी गई, जो पिछले कई महीनों में सबसे बड़ा उछाल है।
अमेरिका को क्या फायदा होगा?
हर साल 12,000 से ज्यादा जहाज पनामा नहर से गुजरते हैं, जो दुनिया के 170 देशों के 1,920 बंदरगाहों से जुड़े हैं।
75% से ज्यादा व्यापार अमेरिका से जुड़ा होता है, यानी इस सौदे से अमेरिका को सीधा आर्थिक फायदा होगा।
रणनीतिक रूप से भी अमेरिका की पकड़ मजबूत हो जाएगी, जिससे चीन पर दबाव बढ़ेगा।
चीन की प्रतिक्रिया और आगे क्या होगा?
अब तक चीन ने इस डील पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।

जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों के मुताबिक,
“यह सौदा चौंकाने वाला है, क्योंकि CK हचिसन के बंदरगाह सीधे अमेरिका-चीन विवाद से प्रभावित नहीं थे। यह एक अवसरवादी डील हो सकती है, क्योंकि CK हचिसन आमतौर पर अच्छी कीमत मिलने पर संपत्तियां बेच देती है।”

निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला अमेरिका के लिए एक रणनीतिक जीत है, लेकिन इससे चीन के साथ उसकी टकराव की स्थिति और बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में इस सौदे का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी!

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