पंजाब में लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं को आखिरकार केंद्र सरकार ने 14 फरवरी को चंडीगढ़ में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। आंदोलन की शुरुआत 26 नवंबर 2024 को हुई थी, जब किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन पर बैठ गए थे। अब, केंद्र की इस पहल के बाद डल्लेवाल भी मेडिकल सहायता लेने के लिए राजी हो गए हैं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ का बयान बना चर्चा का विषय
इस बातचीत की पहल को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हालिया बयान से जोड़ा जा रहा है।
3 दिसंबर 2023 को मुंबई में सीआईआरसीओटी (केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान) के शताब्दी समारोह में उपराष्ट्रपति ने किसानों की परेशानियों पर खुलकर बात की थी।
उन्होंने मंच से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल पूछते हुए कहा:
“किसान आज भी क्यों परेशान है? वादा किया गया था, तो उसे निभाया क्यों नहीं गया?”
कृषि मंत्री से मंच पर सीधे सवाल
धनखड़ ने मंच पर कृषि मंत्री से जोर देकर पूछा:
“किसानों से जो वादे किए गए थे, क्या वे पूरे हुए?”
“किसान आंदोलन का सहारा क्यों ले रहा है, और इस संकट को खत्म करने के लिए हम क्या कर रहे हैं?”
उपराष्ट्रपति के इस बयान को किसानों के समर्थन के रूप में देखा गया, जिससे सरकार पर बातचीत शुरू करने का दबाव बढ़ा।
किसानों ने कहा, यह बड़ी जीत नहीं
केंद्र के निमंत्रण पर किसान नेताओं ने कहा कि यह कोई बड़ी जीत नहीं है, लेकिन सरकार को बातचीत के लिए मजबूर करना हमारी सफलता है। पंजाब के किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और इस निमंत्रण से आशा की एक किरण जगी है।
उपराष्ट्रपति का सवाल: ‘किसान क्यों परेशान है?’
उपराष्ट्रपति ने मंच पर दिए अपने बयान को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी साझा किया। उन्होंने लिखा:
“हम एक विकसित भारत का सपना देख रहे हैं, लेकिन जब देश इतनी ऊंचाई पर है, तब मेरा किसान अकेला और असहाय क्यों है?”
किसान नेताओं और आंदोलन की स्थिति
जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो अब तक आमरण अनशन पर थे, मेडिकल सहायता लेने के लिए मान गए हैं।
आंदोलन को लेकर मुंबई में उपराष्ट्रपति के बयान के बाद सरकार की प्रतिक्रिया आई।
चंडीगढ़ में 14 फरवरी को होने वाली बैठक में सरकार और किसान नेताओं के बीच समाधान की कोशिश की जाएगी।
क्या मिलेगा समाधान?
यह देखना दिलचस्प होगा कि 14 फरवरी को होने वाली इस बैठक में केंद्र सरकार और किसानों के बीच कोई समझौता होता है या नहीं। यह पहल किसानों के लंबे आंदोलन को खत्म करने और उनकी मांगों को हल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
निष्कर्ष:
उपराष्ट्रपति धनखड़ के सवालों के बाद केंद्र सरकार की पहल को किसान आंदोलन के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगामी वार्ता में किसानों और सरकार के बीच किस तरह का समाधान निकलता है।
यह भी पढ़ें:
BMI के साथ पेट की चर्बी भी अब मोटापे का बड़ा कारक: विशेषज्ञों की राय