अफगानिस्तान की जाकिया खुदादादी ने पेरिस पैरालंपिक में शरणार्थी पैरालंपिक टीम के लिए पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनकर इतिहास रच दिया। जाकिया ने गुरुवार को ताइक्वांडो में महिलाओं के 47 किग्रा वर्ग में तुर्की की एकिंसी नूरसिहान को हराकर कांस्य पदक जीता। पेरिस के ग्रांड पैलेस में मुकाबले के खत्म होने के बाद जाकिया खुशी से झूम उठी और उन्होंने अपने हेलमेट को हवा में उछाल कर जश्न मनाया।
जाकिया इस जीत के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान भावुक हो गयी। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक अविश्वसनीय पल है, जब मुझे एहसास हुआ कि मैंने कांस्य पदक जीत लिया है तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक पहुंचने के लिए मुझे बहुत कुछ करना पड़ा। यह पदक अफगानिस्तान की सभी महिलाओं और दुनिया के सभी शरणार्थियों के लिए है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन मेरे देश में शांति होगी।’’
जाकिया एक बांह के बिना पैदा हुई थीं। उन्होंने 11 साल की उम्र में पश्चिमी अफगानिस्तान में अपने गृहनगर हेरात में एक गुप्त जिम में छुप कर ताइक्वांडो का अभ्यास करना शुरू किया था। देश में 2021 में तालिबान के उदय के बाद महिलाओं को खेलों में भाग लेने से करने से रोक दिया गया था। वह किसी तरह अफगानिस्तान से निकलने में सफल रहीं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की याचिका के बाद उसे अपने देश के लिए तोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई।
तोक्यो खेलों के बाद वह पेरिस में बस गई। जहां उन्हें पेरिस 2024 पैरालंपिक में शरणार्थी टीम के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिला। जाकिया ने कहा, ‘‘यह पदक मेरे लिए सब कुछ है, मैं इस दिन को कभी नहीं भूलूंगी। दर्शकों से मुझे मिले जबरदस्त समर्थन के कारण मैं जीत दर्ज करने में सफल रही।’’
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