दिल्ली की सियासत में 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की अहम भूमिका है, जो कांग्रेस के लिए कभी मजबूत वोटबैंक हुआ करता था, लेकिन अब वह आम आदमी पार्टी (AAP) के पक्ष में दिखाई देता है। पिछले दस वर्षों से मुस्लिम समुदाय ने अपने वोट एकजुट करके AAP को दिया है, लेकिन इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में स्थिति कुछ अलग है। मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय तो कहीं चार दलों के बीच सिमटता जा रहा है। इस स्थिति में सवाल उठता है, केजरीवाल मुस्लिम वोटों को कैसे साधेंगे?
तब्लीगी जमात और दिल्ली दंगे का मुद्दा
कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली AIMIM ने तब्लीगी जमात और दिल्ली दंगों के मुद्दों को AAP के खिलाफ प्रचारित करना शुरू कर दिया है, जो अरविंद केजरीवाल और AAP के लिए गले की फांस बन चुका है। हालांकि, केजरीवाल ने मुस्लिम इलाकों में प्रचार से दूरी बना रखी है, लेकिन उन्होंने संजय सिंह और मेहराज मलिक जैसे सशक्त नेताओं को मोर्चे पर लगाया है, जो मुस्लिम समुदाय के बीच प्रचार करने में जुटे हैं।
AAP की मुस्लिम कैंडिडेट्स की नई रणनीति
इस बार AAP ने दिल्ली की 5 मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं, जिनमें से कांग्रेस भी उसी क्षेत्र में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतार रही है। वहीं, AIMIM ने मुस्तफाबाद और ओखला सीट पर ताहिर हुसैन और शिफाउर रहमान को प्रत्याशी बनाया है, जो दिल्ली दंगे के आरोपी हैं और पांच साल से जेल में हैं। ऐसे में मुस्लिम मतदाता इस बार पहले की तरह एकतरफा वोटिंग नहीं कर रहे हैं।
मुस्लिम वोटों पर सियासी टेंशन
इस बार के चुनाव में AAP के लिए मुस्लिम सीटों पर सियासी टेंशन बढ़ गई है। केजरीवाल ने प्रचार से दूरी बनाई है, लेकिन संजय सिंह और मेहराज मलिक जैसे नेता मुस्लिम बहुल सीटों पर जनसभाओं के माध्यम से पार्टी का पक्ष रख रहे हैं। संजय सिंह को AAP का सेकुलर चेहरा माना जाता है, और उनकी मुसलमानों के बीच मजबूत पकड़ है। वे AAP के लिए मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस और ओवैसी की घेराबंदी
AAP इस बार कांग्रेस और AIMIM की घेराबंदी से मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए जोर लगा रही है। AAP के सभी मुस्लिम उम्मीदवार मुसलमानों को यह समझाने में जुटे हैं कि अगर कांग्रेस और ओवैसी के साथ जाते हैं तो मुस्लिम वोटों का बिखराव होगा, जिससे BJP को फायदा हो सकता है। खासकर अमानतुल्लाह खान और इमरान हुसैन जैसे नेताओं ने इस मुद्दे को प्रमुख रूप से उठाया है।
BJP की साजिश का आरोप
AAP ने खुले तौर पर आरोप लगाया है कि असदुद्दीन ओवैसी को BJP और RSS के इशारे पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा गया है। AAP के नेता अमानतुल्लाह खान ने ओवैसी को BJP का एजेंट बताते हुए मुस्लिमों को एकजुट करने की कोशिश की है। इसके अलावा, केजरीवाल ने एक वीडियो संदेश के जरिए यह दावा किया है कि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाएगी और उसका उद्देश्य सिर्फ AAP को हराना और BJP को जिताना है।
इस तरह, दिल्ली में मुस्लिम वोटों के सियासी खेल में AAP पूरी ताकत से जुटी है, लेकिन इस बार मुकाबला ज्यादा त्रिकोणीय और कठिन नजर आ रहा है।
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