यूरोप में रूस के खिलाफ जारी संघर्ष के बीच NATO देशों का रुख नरम होता दिख रहा है। कई देश मास्को से सीधी टकराव की बजाय पीछे हटने की नीति अपना रहे हैं। लेकिन एक छोटा सा देश रूस के सामने पूरी ताकत से खड़ा हो गया है – एस्टोनिया!
महज 13 लाख 73 हजार की आबादी वाला यह बाल्टिक देश अब व्लादिमीर पुतिन को खुली चुनौती दे रहा है।
क्या है रूस-एस्टोनिया विवाद?
एस्टोनिया ने रूस पर अपनी सीमा में अतिक्रमण करने का गंभीर आरोप लगाया है।
🔹 मामला नारवा नदी से जुड़े बॉर्डर मार्कर्स (बॉयज़) हटाने का है।
🔹 मई 2024 में रूस ने एस्टोनिया द्वारा लगाए गए 50 बॉयज़ में से 24 को जबरन हटा दिया था।
🔹 ये बॉयज़ जलसीमा तय करने के लिए लगाए गए थे, ताकि स्थानीय मछुआरे या नागरिक गलती से सीमा न पार करें।
इस पर एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने कड़ा बयान जारी करते हुए कहा –
🗣️ “हमारी संप्रभुता अटूट है। रूस की यह हरकत अस्वीकार्य है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा!”
नारवा – एस्टोनिया की नई चिंता!
🚨 नारवा नदी सिर्फ रूस और एस्टोनिया की सीमा ही नहीं तय करती, बल्कि यह यूरोपीय संघ (EU) और NATO की पूर्वी सीमा भी है।
🚨 रूस पहले भी एस्टोनिया के इस इलाके को अपना हिस्सा बता चुका है।
🚨 राष्ट्रपति पुतिन ने 2022 में कहा था कि नारवा ऐतिहासिक रूप से रूस का हिस्सा था।
एस्टोनिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर नारवा, रूसी संस्कृति के बेहद करीब है।
🔹 56,000 की आबादी में 96% लोग रूसी भाषा बोलते हैं।
🔹 हर तीसरा व्यक्ति रूसी पासपोर्ट रखता है।
🔹 यहां की भौगोलिक स्थिति भी रूस के पक्ष में है, क्योंकि यह राजधानी टालिन से ज्यादा सेंट पीटर्सबर्ग के करीब है।
NATO सदस्य होने के बावजूद एस्टोनिया क्यों सतर्क है?
🛑 यूक्रेन, जॉर्जिया और मोल्दोवा जैसे पड़ोसी देशों पर रूस के दबाव की नीति को देखते हुए एस्टोनिया सतर्क है।
🛑 हालांकि, NATO का सदस्य होने के बावजूद टालिन इस विवाद को सैन्य संघर्ष की बजाय कूटनीति से हल करना चाहता है।
🛑 लेकिन बड़ा सवाल यह है – क्या रूस इतनी आसानी से पीछे हटेगा?
इतिहास बताता है कि रूस बिना दबाव महसूस किए अपने कदम पीछे नहीं खींचता। अब देखना होगा कि क्या NATO एस्टोनिया की इस जंग में उसका साथ देगा या फिर उसे रूस के खिलाफ अकेले ही मोर्चा संभालना पड़ेगा!
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