बांग्लादेश में एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल बन गया है। देश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने की स्थिति में हैं। यह हालात पिछले 9 महीनों में दूसरी बार सामने आए हैं। बीते साल अगस्त में हुए राजनीतिक आंदोलन और शेख हसीना की सत्ता से हटने के बाद देश लगातार अस्थिरता का सामना कर रहा है। आइए, जानते हैं पिछले एक साल में बांग्लादेश में क्या-क्या हुआ जो आज इस स्थिति तक पहुंचा।
विद्रोह की शुरुआत कैसे हुई?
जुलाई 2024 में विश्वविद्यालय के छात्रों ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। उनका कहना था कि इस सिस्टम के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30% आरक्षण मिलता है, जिससे बाकी युवाओं को अवसर नहीं मिल पाते। शुरुआत में यह आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन सरकार द्वारा छात्रों पर लाठीचार्ज किए जाने के बाद यह हिंसक हो गया।
घटनाओं की टाइमलाइन:
1 जुलाई 2024: छात्र सड़कों पर उतरे और रेलवे लाइनों को जाम कर दिया। उनकी मांग थी कि कोटा सिस्टम में बदलाव किया जाए। पुलिस ने बैरिकेड लगाकर विरोध को दबाने की कोशिश की।
16 जुलाई 2024: प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें 6 लोग मारे गए। हिंसा तेज हो गई।
18 जुलाई 2024: प्रदर्शनकारियों ने सरकारी इमारतों और बांग्लादेश टेलीविजन मुख्यालय में आग लगा दी। ‘तानाशाह को हटाओ’ के नारे गूंजने लगे। इस हिंसा में 32 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए।
21 जुलाई 2024: सुप्रीम कोर्ट ने कोटा सिस्टम को अवैध घोषित किया, लेकिन प्रदर्शनकारी इसे पर्याप्त नहीं मान रहे थे।
5 अगस्त 2024: प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना के महल पर हमला किया, जिसके बाद वे देश छोड़कर भारत चली गईं। हजारों लोग इस घटना पर सड़कों पर जश्न मनाने उतरे।
क्या है बांग्लादेश में तख्तापलट की आशंका?
शेख हसीना के सत्ता से हटने के लगभग एक साल बाद, मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार भी संकट में है। रॉयटर्स के अनुसार, यूनुस ने चेतावनी दी है कि यदि राजनीतिक दल सुधारों को मंजूरी नहीं देंगे, तो वे इस्तीफा देने को मजबूर होंगे।
नेशनल सिटिजन पार्टी के नेता नाहिद इस्लाम ने बताया कि बिना राजनीतिक समर्थन के यूनुस के लिए काम करना बेहद मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा, “अगर यूनुस वह काम नहीं कर पाएंगे जो उनसे अपेक्षित था, तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए।”
यूनुस को बांग्लादेश की राजनीतिक व्यवस्था सुधारने और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए लाया गया था, लेकिन अब तक वहां कोई बदलाव नहीं हो पाया है।
यूनुस पर दबाव क्यों बढ़ रहा है?
शेख हसीना के बाद सत्ता संभालने के दौरान यूनुस ने बड़े सुधारों का वादा किया था, लेकिन राजनीतिक जटिलताओं के कारण वे इस वादे को पूरा नहीं कर पाए। हाल ही में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों ने ढाका में यूनुस के खिलाफ प्रदर्शन किया और चुनाव की तिथि जल्दी घोषित करने की मांग की।
आगे की राह क्या होगी?
बांग्लादेश आज एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा है। यदि यूनुस की सरकार सुधारों को लागू नहीं कर पाई, तो देश फिर से बड़े संकट में फंस सकता है। जनता अब अंतरिम सरकार के वादों से निराश है और राजनीतिक दलों की आंतरिक लड़ाइयां देश को नई चुनौतियों की ओर ले जा रही हैं।
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