कम उम्र में घुटनों की बिगड़ती सेहत: युवाओं को सताने लगी बुज़ुर्गों वाली बीमारी

आजकल की लाइफस्टाइल और खानपान के चलते युवाओं में तेजी से घुटनों की समस्याएं बढ़ रही हैं।
जहां पहले ये परेशानी उम्रदराज लोगों को होती थी, अब 30 साल से कम उम्र के युवाओं में भी घुटनों का दर्द, कार्टिलेज का घिसना और हड्डियों की कमजोरी आम हो गई है।

यह कोई मामूली बात नहीं है, बल्कि फिनलैंड की Oulu University में हुई एक स्टडी में साफ पता चला है कि
33 साल के युवाओं के घुटनों में बिना किसी लक्षण के भी गंभीर डैमेज हो रहा है।

युवाओं के घुटने क्यों हो रहे हैं खराब?
🔹 स्टडी में पाया गया कि
30 से 35 साल के युवाओं में से दो-तिहाई लोगों के घुटनों में स्ट्रक्चरल डैमेज हो चुका है।
यह डैमेज उन लोगों में भी पाया गया जिनमें कोई दर्द या लक्षण नजर नहीं आते।

🔹 कार्टिलेज (Cartilage) – जो हड्डियों को घर्षण से बचाता है –
धीरे-धीरे घिसता जा रहा है, जिससे आगे चलकर ऑस्टियोआर्थराइटिस की आशंका बढ़ जाती है।

क्या कारण हैं इस परेशानी के?
अत्यधिक वजन (High BMI):
शरीर का भार बढ़ने से घुटनों पर दबाव भी बढ़ जाता है, जिससे कार्टिलेज जल्दी घिसता है।

शारीरिक गतिविधियों की कमी:
लगातार बैठना, व्यायाम न करना और स्क्रीन टाइम का ज्यादा होना भी एक अहम वजह है।

ब्लड प्रेशर और यूरिक एसिड:
उच्च सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और यूरेट का बढ़ा स्तर भी घुटनों को नुकसान पहुंचाते हैं।

गलत पोश्चर और बैठने का तरीका:
लंबे समय तक गलत तरीके से बैठना या खड़े रहना घुटनों की बनावट पर असर डालता है।

बिना लक्षणों के भी हो सकता है नुकसान
सबसे खतरनाक बात यह है कि युवाओं को यह डैमेज
बिना किसी दर्द या सूजन के भी हो सकता है।
इसलिए समय-समय पर हड्डियों और जोड़ों की जांच कराना जरूरी हो गया है।

कैसे करें बचाव?
✔️ वजन नियंत्रित रखें
✔️ रोज़ाना थोड़ी देर चलना या योग करें
✔️ पोषणयुक्त आहार लें – खासतौर पर विटामिन D और कैल्शियम
✔️ लंबे समय तक एक ही पोजीशन में न बैठें
✔️ शरीर की जांच करवाते रहें – खासतौर पर अगर परिवार में ऑस्टियोआर्थराइटिस का इतिहास है

🔔 नोट: अगर बिना किसी चोट के घुटनों में अकड़न, हल्का दर्द या चलने में परेशानी हो रही है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें और डॉक्टर से ज़रूर मिलें।

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