दुनिया के सबसे शांतिप्रिय और खुशहाल देशों में शुमार फिनलैंड इन दिनों बेचैनी और चिंता के साए में है। एक ऐसा देश, जिसे उसकी सुरक्षा, स्थिरता और संतुलित जीवनशैली के लिए जाना जाता था, अब वहां युद्ध की आशंका गहराने लगी है। कारण – रूस की बढ़ती सैन्य हलचल, और उसके पीछे व्लादिमीर पुतिन की रणनीति।
सीमा पर दिख रही है युद्ध की तैयारी
सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि रूस, फिनलैंड की सीमा के पास पुराने एयरबेस को फिर से सक्रिय कर रहा है। बख्तरबंद गाड़ियों के लिए गोदाम बनाए जा रहे हैं, और सेना की गतिविधियां बढ़ती दिख रही हैं। सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि यह वही पैटर्न है जो यूक्रेन पर हमले से पहले देखा गया था।
अब सवाल ये है – क्या इतिहास दोहराने जा रहा है?
फिनलैंड का NATO में जाना पुतिन को क्यों चुभ रहा है?
2023 में जब फिनलैंड ने आधिकारिक तौर पर NATO की सदस्यता ली, तभी से रूस का रुख सख्त हो गया। क्योंकि अब रूस की लगभग 1300 किमी लंबी सीमा सीधे नाटो से जुड़ गई है। यह क्रेमलिन को बिल्कुल रास नहीं आया।
स्वीडन के रक्षा प्रमुख माइकल क्लेसन ने बताया कि नाटो जॉइन करने के फैसले के बाद रूस ने चेतावनी दी थी कि इसके “परिणाम भुगतने होंगे” — और अब सीमा पर जो कुछ हो रहा है, वह उसी चेतावनी का सच होता रूप है।
NATO भी पूरी तरह तैयार
रूस की तैयारी को देखते हुए NATO भी बैकफुट पर नहीं है। हाल ही में “लाइटनिंग स्ट्राइक” नाम की बड़ी सैन्य एक्सरसाइज फिनलैंड में हुई, जिसमें स्वीडन समेत अन्य नाटो सदस्य देश भी शामिल रहे।
फिनलैंड के डिप्टी चीफ ऑफ डिफेंस, लेफ्टिनेंट जनरल वेसा विरटेनन के मुताबिक, रूस सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं बल्कि हाइब्रिड वॉरफेयर – जैसे कि साइबर हमले, फेक न्यूज और अप्रवासी संकट जैसी रणनीतियों का भी सहारा ले रहा है।
रूस का बयान और पुतिन की रणनीति
रूस की आधिकारिक लाइन साफ़ है – वह किसी पर हमला नहीं करेगा। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो देशों पर हमला करने की आशंकाओं को “बकवास” बताया है। लेकिन दूसरी ओर, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव जैसे नेता खुलेआम परमाणु हमले की धमकियां दे चुके हैं।
उनका साफ कहना है – नाटो के नए सदस्य सावधान रहें।
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