गर्मियों में मटका या तांबे का बर्तन: कौन सा पानी है सेहत के लिए फायदेमंद

गर्मियों में जब प्यास लगती है, तो ठंडा पानी पीने का मजा कुछ और ही होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मटके का पानी और तांबे के बर्तन का पानी सेहत के लिए कितने अलग-अलग असर डालते हैं? चलिए, जानते हैं कि किसका पानी आपके लिए बेहतर रहेगा।

तांबा या मटका – कौन सा पानी है ज्यादा फायदेमंद?
आयुर्वेद के अनुसार, पानी पीने के लिए मिट्टी के घड़े का पानी सबसे बेहतरीन माना गया है। यह अन्य बर्तनों से कहीं अधिक फायदेमंद होता है। मटके में पानी पीने से न केवल शरीर को ठंडक मिलती है, बल्कि इसके कई और स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। वहीं, तांबे के बर्तन में रखा पानी अगर बहुत अधिक पी लिया जाए, तो यह शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है।

मटके के पानी के फायदे:
पाचन में सुधार: मटके का पानी पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है, जिससे शरीर को जरूरी मिनरल्स मिलते हैं।

इम्यून सिस्टम को बढ़ावा: यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।

स्किन के लिए फायदेमंद: मटके के पानी से स्किन के फोड़े-फुंसी और मुंहासे दूर होते हैं और त्वचा में चमक आती है।

पेट को ठंडक मिलती है: गर्मियों में मटका का पानी पीने से पेट शांत रहता है और लू लगने का खतरा कम होता है।

आयरन की कमी को दूर करना: मटके का पानी शरीर में आयरन की कमी को भी दूर करता है।

तांबे के बर्तन में पानी पीने के साइड इफेक्ट्स:
तांबे की अधिकता: तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर में तांबे की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे मतली, उल्टी, लूज मोशन और गैस की समस्या हो सकती है।

पाचन पर असर: आयुर्वेद के अनुसार, तांबे का पानी पाचन को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि आजकल की जीवनशैली में पाचन और अग्नि कमजोर हो जाती है।

नर्वस सिस्टम पर प्रभाव: तांबे के बर्तन का ज्यादा उपयोग नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है और नसों को कमजोर कर सकता है।

लिवर पर असर: तांबे के बर्तन का पानी ज्यादा इस्तेमाल करने से लिवर को भी नुकसान हो सकता है।

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