मार्क कार्नी की धमाकेदार वापसी: कनाडा को मिला नया नेता

कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री बनने के महज एक महीने के भीतर आम चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज की है। लिबरल पार्टी की यह वापसी तब मुमकिन हो सकी जब देश आर्थिक अस्थिरता और अमेरिका से तनावपूर्ण संबंधों के दौर से गुजर रहा था। इसी कारण इसे राजनीतिक विश्लेषक ‘असंभव सी जीत’ करार दे रहे हैं।

ट्रंप को सीधी चुनौती
चुनाव जीतने के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप हमें तोड़ना चाहते हैं ताकि अमेरिका हम पर अपना नियंत्रण जमा सके — लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा।”

राजनीति में नया चेहरा, लेकिन बड़ी ज़िम्मेदारी
मार्क कार्नी ने मार्च 2025 में उस समय प्रधानमंत्री पद संभाला, जब जस्टिन ट्रूडो ने इस्तीफा दिया था। उस वक्त उनके पास हाउस ऑफ कॉमन्स की सदस्यता भी नहीं थी। वे कनाडा के इतिहास में ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री बने जिन्हें संसद में कोई सीट नहीं मिली थी। इस चुनाव में उन्होंने ओटावा के पास नेपियन सीट से जीत हासिल की और पूर्ण रूप से जनप्रतिनिधि बन गए।

एक अनुभवी अर्थशास्त्री का नया राजनीतिक सफर
कार्नी मूल रूप से एक अर्थशास्त्री हैं। 2008 से 2013 तक वे बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रहे, जब वैश्विक मंदी चरम पर थी। इसके बाद वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने और 2020 तक इस पद पर बने रहे। वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले गैर-ब्रिटिश व्यक्ति थे।

उन्होंने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड के अध्यक्ष (2011–2018) के तौर पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीतियों को दिशा दी। साथ ही 2019 से 2025 तक वे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु और वित्त पर विशेष दूत भी रहे।

शुरुआती जीवन और शिक्षा
मार्क कार्नी का जन्म फोर्ट स्मिथ, नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज़ में हुआ था। उनके तीन दादा-दादी आयरलैंड के काउंटी मेयो से थे। उनके पास कनाडा और आयरलैंड की दोहरी नागरिकता थी, लेकिन हाल ही में उन्होंने घोषणा की कि वे केवल कनाडाई नागरिक रहेंगे।

हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने आइस हॉकी खेली और बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।

अमेरिका और ट्रंप के खिलाफ कड़ा रुख
डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियां, जैसे कनाडा को अमेरिका का “51वां राज्य” बनाने की बात, चुनाव में बड़ा मुद्दा बनीं। कार्नी ने इन पर कड़ा विरोध जताया। बतौर पूर्व केंद्रीय बैंकर, वे ट्रंप की नीतियों के प्रत्यक्ष गवाह रहे हैं और उन्होंने हमेशा उनका आर्थिक विरोध किया है।

जलवायु परिवर्तन और घरेलू नीतियां
पर्यावरण संरक्षण में कार्नी की भूमिका अहम रही है। 2021 में उन्होंने ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो की शुरुआत की। हालांकि पहले वे कार्बन टैक्स नीति के समर्थक रहे, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने 1 अप्रैल से इस नीति को समाप्त कर दिया, जिससे घरेलू वर्ग को बड़ी राहत मिली है।

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