हैप्पी बर्थडे जीतेंद्र: बॉलीवुड के ‘जंपिंग जैक’ की विरासत का जश्न मनाने वाली 6 आइकॉनिक भूमिकाएँ

दिग्गज अभिनेता जीतेंद्र को जन्मदिन की शुभकामनाएँ! 7 अप्रैल, 1942 को जन्मे जीतेंद्र, जिन्हें भारतीय सिनेमा के जंपिंग जैक के रूप में जाना जाता है, पाँच दशकों से भी ज़्यादा समय से घर-घर में मशहूर हैं।

200 से ज़्यादा फ़िल्मों में काम करने के बाद उन्होंने इंडस्ट्री पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। उनके जन्मदिन पर, आइए उनकी कुछ सबसे आइकॉनिक भूमिकाओं पर नज़र डालते हैं जो आज भी दर्शकों का मनोरंजन और प्रेरणा देती हैं।

1. ‘हमजोली’ (1970)

इस क्लासिक म्यूज़िकल रोमांस ने जीतेंद्र को बॉलीवुड में एक लीडिंग मैन के रूप में स्थापित किया। सह-कलाकार लीना चंदावरकर के साथ उनकी केमिस्ट्री आज भी प्रशंसकों द्वारा याद की जाती है। फ़िल्म का गाना ‘ढल गया दिन’ आज भी सभी समय के सबसे आइकॉनिक रेट्रो गानों में से एक है।

2. ‘परिचय’ (1972)
इस पारिवारिक ड्रामा में जीतेंद्र के सूक्ष्म अभिनय ने उन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई। जटिल पारिवारिक रिश्तों और सामाजिक मुद्दों की खोज आज भी प्रासंगिक है। ‘मुसाफ़िर हूँ यारो’ गाना आज भी बॉलीवुड के रेट्रो म्यूज़िक को पसंद करने वाले कई ट्रैवलहॉलिक्स की ट्रैवल प्लेलिस्ट में शामिल है।

3. ‘ख़ुदग़रज़’ (1987)
इस बदला लेने वाले ड्रामा ने जीतेंद्र की जटिल, सूक्ष्म किरदार निभाने की क्षमता को दिखाया। सह-कलाकार गोविंदा और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ उनके अभिनय की आज भी व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है।

4. ‘तोहफ़ा’ (1984)
इस रोमांटिक कॉमेडी ने जीतेंद्र की स्थिति को एक बहुमुखी अभिनेता के रूप में स्थापित किया, जो नाटकीय और हल्के-फुल्के दोनों तरह के किरदार निभा सकते थे। सह-कलाकार श्रीदेवी और जया प्रदा के साथ उनकी केमिस्ट्री आज भी प्रशंसकों द्वारा याद की जाती है।

5. ‘हिम्मतवाला’ (1983)
के. राघवेंद्र राव द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही। हिम्मतवाला में जीतेंद्र ने रवि की भूमिका निभाई, जो एक बहादुर और निडर युवक है जो अपने परिवार और समुदाय को खतरे में डालने वाली खलनायक ताकतों से लड़ता है। एक्शन, कॉमेडी और रोमांस के मिश्रण वाली इस फिल्म ने जीतेंद्र को एक अभिनेता के रूप में अपनी क्षमता दिखाने का मौका दिया। सह-कलाकार श्रीदेवी के साथ उनकी केमिस्ट्री खास तौर पर उल्लेखनीय थी और उनके ऑन-स्क्रीन रोमांस ने फिल्म की अपील को और बढ़ा दिया।

6. ‘औलाद’ (1987)
इस पारिवारिक ड्रामा में जीतेंद्र के अभिनय ने उन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई। विजय सदाना द्वारा निर्देशित इस फिल्म में परिवार, प्रेम और त्याग के विषयों को दिखाया गया था। औलाद में जीतेंद्र ने आनंद की भूमिका निभाई, जो एक समर्पित पिता है जो अपने परिवार की देखभाल करने और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करता है। फिल्म में आनंद की यात्रा का चित्रण, जिसमें वह माता-पिता बनने और सामाजिक अपेक्षाओं की चुनौतियों का सामना करता है, बहुत ही मार्मिक और प्रासंगिक था।

भारतीय लोकप्रिय संस्कृति पर जीतेंद्र का प्रभाव निर्विवाद है। उन्होंने अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं की कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है और उनकी फ़िल्में आज भी दर्शकों द्वारा पसंद की जाती हैं। एक प्रिय अभिनेता और निर्माता के रूप में उनकी विरासत ने भारतीय फिल्म उद्योग पर एक अमिट छाप छोड़ी है।