महाराष्ट्र से एक चौंकाने वाला डिजिटल अरेस्ट घोटाला सामने आया है। मुंबई पुलिस ने पुणे से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने एक महिला को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 10 लाख रुपये ठग लिए।
रिपोर्ट के अनुसार, जिन दो लोगों को पकड़ा गया है, उनमें से एक 23 साल का जलेबी विक्रेता निकला। पुलिस ने इनके पास से कई बैंकों की पासबुक और 17 डेबिट-क्रेडिट कार्ड जब्त किए हैं। लेकिन इन तक पहुंचने का सुराग आधार कार्ड के जरिए मिला।
कैसे हुआ डिजिटल अरेस्ट घोटाला?
59 साल की महिला ने पुलिस को शिकायत दी कि 15 जनवरी को उन्हें एक व्हाट्सऐप कॉल आई।
कॉलर ने खुद को खन्ना नामक पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उनके बैंक खाते का उपयोग एक घोटाले में किया गया है।
महिला को धमकी दी गई कि उनका अकाउंट फ्रीज कर दिया जाएगा।
फिर उन्हें बताया गया कि उन्हें डिजिटल रूप से गिरफ्तार (Digital Arrest) किया जा रहा है।
इसके बाद एक वकील बनकर दूसरा व्यक्ति कॉल पर आया और महिला पर लगातार नजर रखी गई।
उनसे 9.75 लाख रुपये RTGS के जरिए ट्रांसफर करवा लिए गए।
महिला को नहीं था डिजिटल अरेस्ट का ज्ञान
महिला को जब तक समझ आया कि यह एक धोखाधड़ी थी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
जब उन्होंने अपने रिश्तेदारों को इस घटना के बारे में बताया, तब उन्हें पता चला कि डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज़ असली में होती ही नहीं।
इसके बाद उन्होंने तुरंत पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई।
मामले की जांच साइबर क्राइम यूनिट को सौंपी गई।
कैसे पकड़ा गया जलेबी विक्रेता?
पुलिस जांच में पता चला कि पूरी ठगी की रकम भगाराम देवासी नाम के एक जलेबी विक्रेता के खाते में ट्रांसफर की गई थी।
भगाराम पुणे का रहने वाला है और 23 साल का है।
उसका बैंक खाता जिस मोबाइल नंबर से जुड़ा था, वह बंद मिला।
पुलिस ने आधार कार्ड की मदद से उसका दूसरा मोबाइल नंबर ट्रैक किया।
इस मोबाइल नंबर से उसकी लोकेशन ट्रेस की गई और भगाराम को गिरफ्तार कर लिया गया।
जलेबी वाले का दावा – कमीशन पर किया था काम!
भगाराम ने पुलिस को बताया कि उसे एक शख्स ‘कमलेश चौधरी’ ने यह काम दिया था।
कमलेश ने उससे कहा था कि अगर वह अपने अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवाएगा, तो उसे 30,000 रुपये कमीशन मिलेगा।
जांच में पता चला कि कमलेश ने ठगी के पैसों के लेन-देन के लिए 7-8 अलग-अलग बैंक अकाउंट खुलवाए थे।
इन खातों में पैसे ट्रांसफर कर उन्हें मास्टरमाइंड के पास पहुंचाया जाता था।
फिलहाल पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और इस घोटाले के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश में है।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए रखें सावधानी!
अगर कोई सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी बनकर आपसे पैसों की मांग करता है, तो यह फर्जी हो सकता है।
सरकार या पुलिस डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज़ नहीं करती।
किसी भी संदेहजनक कॉल पर भरोसा न करें।
रिश्तेदारों या दोस्तों से सलाह लें।
किसी भी तरह की ऑनलाइन ठगी होने पर तुरंत नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें।
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