तुलसी गबार्ड के बयान से हंगामा: बांग्लादेश की छवि पर उठा सवाल

पुतिन-ट्रंप वार्ता के बीच, अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया की निदेशक तुलसी गबार्ड अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आई हैं। उन्हें यहां शानदार स्वागत मिला और सोमवार को उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। अपनी यात्रा के दौरान एक इंटरव्यू में गबार्ड ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और हत्या का आरोप लगाया, विशेष रूप से हिंदुओं पर हो रहे हमलों की चर्चा की। इस बयान से बांग्लादेश में मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार को कड़ी आपत्ति हुई, जिसने कहा कि गबार्ड की टिप्पणियां किसी भी ठोस सबूत पर आधारित नहीं हैं।

गबार्ड के आरोप:
तुलसी गबार्ड ने अपने इंटरव्यू में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत शुरू की है, लेकिन स्थिति अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और हत्या का भी खुलासा किया।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया:
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने गबार्ड की टिप्पणी को पूरे देश की छवि और प्रतिष्ठा को अनुचित तरीके से पेश करने वाला और नुकसान पहुंचाने वाला बताया। कार्यालय ने जोर देकर कहा कि इस्लामिक खिलाफत की बात कर बांग्लादेश को बेबुनियाद तरीके से जोड़ना, देश के समावेशी और शांतिपूर्ण पारंपरिक इस्लाम प्रथा को धूमिल करता है और उग्रवाद तथा आतंकवाद के खिलाफ अब तक की गई कड़ी मेहनत को नुकसान पहुंचाता है।
यूनुस के कार्यालय ने भी चेतावनी दी कि नेताओं को विशेष रूप से संवेदनशील मुद्दों पर वास्तविक तथ्यों के आधार पर बयान देना चाहिए, ताकि भय या सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा न मिले।

यात्रा और आगे की बातचीत:
तुलसी गबार्ड रविवार को नई दिल्ली पहुंचीं। उन्होंने इंटरव्यू में वैश्विक आतंकवादी समूहों की ओर इशारा किया और बताया कि कैसे ये समूह इस्लामिक खिलाफत की विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं। हालांकि, मुख्य सलाहकार के कार्यालय ने यह भी कहा कि बांग्लादेश, अन्य देशों की तरह, चरमपंथ की चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन उसने कानून, सामाजिक सुधारों और आतंकवाद विरोधी प्रयासों के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

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