महाराष्ट्र में हलाल बनाम झटका मीट को लेकर राजनीति तेज हो गई है। राज्य के मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे ने घोषणा की है कि अब मटन के लिए अलग-अलग सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे, ताकि हिंदुओं को झटका मटन खाने के लिए मजबूर न होना पड़े।
क्या है ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’?
नितेश राणे के मुताबिक, हिंदू संचालित दुकानों को ‘मल्हार सर्टिफिकेट’ दिया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वहां सिर्फ झटका मटन बेचा जाए। उनका कहना है कि सालों से हलाल मटन को अनिवार्य बना दिया गया था, लेकिन अब हिंदू समाज के लिए एक नया विकल्प पेश किया जा रहा है।
राणे ने कहा –
“हलाल खाना इस्लाम धर्म में लिखा है, हिंदू धर्म में नहीं। इसलिए हिंदू समाज के लिए हम एक शुद्ध और बिना मिलावट वाला झटका मटन उपलब्ध कराएंगे।”
सियासी गलियारों में बवाल!
इस ऐलान के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल आ गया है। विपक्षी पार्टियां इस फैसले को ‘समाज में बंटवारे की राजनीति’ करार दे रही हैं।
👉 एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता जितेंद्र आव्हाड ने तंज कसते हुए कहा –
“अब नितेश राणे तय करेंगे कि जनता को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?”
👉 कांग्रेस नेता नाना पटोले ने भी हमला बोला –
“क्या सरकार दो समुदायों को लड़ाने की कोशिश कर रही है? मुख्यमंत्री को इस पर सफाई देनी चाहिए।”
क्या मटन बन गया राजनीति का मुद्दा?
हलाल और झटका मटन के इस मुद्दे ने राजनीति को नई दिशा दे दी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार अब खाने-पीने की चीजों पर भी धर्म के आधार पर फैसला लेगी? या यह महज एक चुनावी रणनीति है?
इस विवाद के बीच अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या यह मामला आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बनेगा।
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