ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। रविवार को ईरान ने संकेत दिए कि वह अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी – बातचीत सिर्फ उसके परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण की चिंताओं तक ही सीमित रहनी चाहिए।
ईरान के UN मिशन ने ‘एक्स’ पर बयान जारी कर कहा –
“अगर बातचीत का उद्देश्य केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी सैन्य चिंताओं को दूर करना है, तो इस पर विचार किया जा सकता है।”
लेकिन इस बयान के ठीक एक दिन पहले ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने अमेरिका से बातचीत को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अमेरिका का असली मकसद ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव को कमजोर करना है।
खामेनेई का करारा जवाब – ट्रंप की मांग बेकार!
ईरानी सुप्रीम लीडर अली खामेनेई का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भेजे गए एक पत्र के बाद आया। ट्रंप ने इसमें ईरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने और एक नया समझौता करने की पेशकश की थी।
👉 खामेनेई ने दो टूक कहा – यह वार्ता समाधान नहीं बल्कि समस्या को और बढ़ाएगी।
👉 ट्रंप का मकसद केवल ईरान को दबाना है, और हम ऐसा होने नहीं देंगे।
👉 अमेरिका और इजराइल की धमकियों से नहीं डरता ईरान!
ईरान Vs अमेरिका: क्या जंग की आहट?
अमेरिका और इजराइल लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कड़ी चेतावनी दे रहे हैं।
🔹 दोनों देश पहले ही कह चुके हैं कि वे ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देंगे।
🔹 ईरान ने भी परमाणु हथियार बनाने की खुली धमकी दी है।
🔹 गाजा में हमास और इजराइल के युद्ध के बीच ईरान-अमेरिका का तनाव और बढ़ सकता है।
ईरान का दो टूक संदेश – वार्ता होगी, लेकिन शर्तें हमारी होंगी!
ईरान ने एक बार फिर दोहराया कि –
✔️ वह अपने शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को जारी रखेगा।
✔️ अगर बातचीत का मकसद इसे खत्म करना हुआ, तो कोई वार्ता नहीं होगी।
✔️ ओबामा जो नहीं कर पाए, वह अब भी नहीं होगा!
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