Google एक बार फिर से कानूनी दबाव में है, और इस बार फिर से Chrome ब्राउजर को बेचने की मांग उठ रही है। यह पहली बार नहीं है जब Google को Chrome ब्राउजर से दूरी बनाने के लिए कहा गया है। इससे पहले नवंबर 2024 में भी यही मुद्दा उठा था। अब आप सोच रहे होंगे कि जब यह प्रोडक्ट खुद Google का है, तो कोर्ट इसे बेचने के लिए क्यों मजबूर कर सकता है?
दरअसल, Google का ऑनलाइन सर्च मार्केट में दबदबा रहा है, और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस (DOJ) चाहता है कि मार्केट में कंपटीशन को बढ़ावा देने के लिए Google को Chrome ब्राउजर से अलग कर दिया जाए।
क्या Google से सर्च इंजन का कंट्रोल हट जाएगा?
Android Authority की रिपोर्ट के मुताबिक, DOJ ने Google को फिर से Chrome ब्राउजर बेचने की सलाह दी है। New York Times की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के लाखों-करोड़ों मोबाइल यूजर्स के लिए Chrome ब्राउजर ही प्राइमरी सर्चिंग टूल है। DOJ का मानना है कि अगर Google Chrome ब्राउजर से अलग होता है, तो इसका सर्च इंजन पर से कंट्रोल कम हो जाएगा और दूसरे सर्च इंजनों को मार्केट में सही मौका मिलेगा।
क्या iPhone में अब डिफॉल्ट सर्च इंजन नहीं होगा Google?
DOJ सिर्फ Chrome ब्राउजर की बिक्री पर ही नहीं, बल्कि Apple और Mozilla जैसे प्लेटफॉर्म्स पर Google सर्च इंजन को डिफॉल्ट रूप से दिखाने पर भी रोक लगाना चाहता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि Google हर साल Apple को iPhone में Google सर्च इंजन को डिफॉल्ट रूप से लगाने के लिए अरबों डॉलर का भुगतान करता है। DOJ का कहना है कि इस तरह की प्रैक्टिस गूगल के दबदबे को और मजबूत करती हैं, जिससे मार्केट में असमानता बढ़ रही है।
Google की ‘गलत प्रैक्टिस’ पर DOJ की आपत्ति
DOJ का कहना है कि Google अपने सर्च इंजन को जबरदस्ती प्रमोट करने और मार्केट में अपनी मोनोपॉली बनाए रखने के लिए गलत तरीके अपना रहा है। यही वजह है कि DOJ बार-बार Google को इस मामले में चेतावनी दे चुका है, लेकिन Google पीछे हटने को तैयार नहीं है।
Google की दलील – “हमें पार्टनर चुनने की आजादी होनी चाहिए”
Google ने अपने बचाव में कहा है कि उसे Apple और Mozilla जैसे साझेदारों के साथ डिफॉल्ट सर्च इंजन के लिए भुगतान करने की सुविधा मिलनी चाहिए।
Google का सुझाव है कि Apple को iPhone और iPad के लिए अलग-अलग डिफॉल्ट सर्च इंजन चुनने की आजादी दी जानी चाहिए, जिससे यूजर्स को अपने हिसाब से सर्च इंजन चुनने का मौका मिले।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या Google को वाकई Chrome ब्राउजर बेचना पड़ेगा, या DOJ और Google के बीच कोई नया समझौता होगा?
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