शेयर बाजार को मिलेगा नया दिशानिर्देश! तुहिन कांत पांडे बने सेबी प्रमुख

भारतीय शेयर बाजार को एक नया नेतृत्व मिल गया है! 1987 बैच के आईएएस अधिकारी तुहिन कांत पांडे को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के 11वें अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। वह माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 1 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है।

बाजार सुधार की बड़ी जिम्मेदारी
तुहिन कांत पांडे ऐसे समय में सेबी की कमान संभालने जा रहे हैं, जब भारतीय बाजार से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की भारी निकासी देखी जा रही है। 2025 की शुरुआत से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हो चुकी है, जिससे शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

बाजार विश्लेषकों की नजर इस बात पर होगी कि नए सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे इस स्थिति से कैसे निपटते हैं और निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

बजट 2025-26 में निभाई अहम भूमिका
वित्त मंत्रालय में रहते हुए तुहिन कांत पांडे ने 2025-26 के बजट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मिडिल क्लास को 1 लाख करोड़ रुपये की टैक्स राहत दिलाने में अहम योगदान दिया। इसके अलावा, 1961 के आयकर अधिनियम को बदलने के लिए नए आयकर विधेयक के मसौदे पर भी उन्होंने काम किया।

तुहिन कांत पांडे का शैक्षणिक और प्रशासनिक सफर
जन्म: 8 जुलाई 1965, पंजाब
शिक्षा:
पंजाब विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स और अर्थशास्त्र में एमए (फर्स्ट डिवीजन)
2006 में यूके से एमबीए (फर्स्ट डिवीजन विथ डिस्टिंक्शन)
भाषाओं का ज्ञान: हिंदी, उड़िया और अंग्रेजी
प्रारंभिक पोस्टिंग: भू-राजस्व प्रबंधन एवं जिला प्रशासन में
प्रमुख प्रशासनिक भूमिकाएं:
संबलपुर में जिला कलेक्टर
वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव
योजना आयोग में संयुक्त सचिव
DIPAM के प्रमुख – जहां उन्होंने विनिवेश नीतियों का प्रबंधन किया
2021 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव
सेबी प्रमुख के रूप में क्या होंगी प्राथमिकताएं?
विदेशी निवेशकों की वापसी सुनिश्चित करना
शेयर बाजार में स्थिरता लाने के लिए नीतियां तैयार करना
IPO और स्टॉक मार्केट रेगुलेशन को सुदृढ़ करना
डिजिटल ट्रेडिंग और निवेश को सुरक्षित बनाने पर ध्यान देना
क्या तुहिन कांत पांडे भारतीय बाजार को नई ऊंचाइयों तक ले जा पाएंगे?
नए सेबी प्रमुख की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब बाजार में मंदी और अस्थिरता बनी हुई है। अब देखना होगा कि तुहिन कांत पांडे अपने अनुभव और नीतियों से बाजार को किस दिशा में ले जाते हैं!

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