आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और चिंता (Anxiety) आम बात हो गई है, लेकिन जब यह अचानक तेज धड़कनों, सांस लेने में दिक्कत और घबराहट के रूप में सामने आती है, तो इसे पैनिक अटैक (Panic Attack) कहा जाता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को बार-बार घबराहट, बेवजह डर या पैनिक अटैक आ रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। आइए जानते हैं पैनिक अटैक के लक्षण, कारण और बचाव के असरदार उपाय।
क्या होता है पैनिक अटैक?
पैनिक अटैक एक अचानक और तीव्र रूप से होने वाली चिंता या घबराहट की स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को बेहद डर, असहजता और घुटन महसूस होती है। यह कुछ मिनटों से लेकर आधे घंटे तक रह सकता है, लेकिन इसके प्रभाव लंबे समय तक महसूस किए जा सकते हैं।
पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति को ऐसा लगता है कि
दिल का दौरा पड़ रहा है
सांस रुक रही है या दम घुट रहा है
वह बेहोश होने वाला है
स्थिति उसके नियंत्रण से बाहर हो रही है
पैनिक अटैक के प्रमुख लक्षण
पैनिक अटैक के लक्षण अचानक और तीव्र होते हैं। ये कुछ मिनटों तक रह सकते हैं और बिना किसी चेतावनी के आ सकते हैं।
शारीरिक लक्षण:
दिल की धड़कन तेज होना (Palpitations)
सांस लेने में दिक्कत या घुटन महसूस होना
पसीना आना और हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना
सिर चकराना या बेहोशी जैसा महसूस होना
सीने में दर्द या दबाव महसूस होना
शरीर में कंपकंपी या सुन्नपन
मानसिक और भावनात्मक लक्षण:
अचानक डर या घबराहट महसूस होना
नियंत्रण खोने का डर
मौत का डर या हार्ट अटैक का एहसास
आसपास की चीजों से डिस्कनेक्ट महसूस करना (Derealization)
अगर ये लक्षण बार-बार आते हैं और लंबे समय तक बने रहते हैं, तो इसे पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder) कहा जाता है।
पैनिक अटैक के कारण (Root Causes of Panic Attack)
पैनिक अटैक किसी एक कारण से नहीं होता, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कारणों का मिश्रण हो सकता है।
1. तनाव और चिंता (Stress & Anxiety)
ज्यादा मानसिक दबाव और तनाव लेने से पैनिक अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
ऑफिस का प्रेशर, रिलेशनशिप की समस्याएं या किसी घटना का डर इसका कारण हो सकता है।
2. जेनेटिक कारण (Genetic Factors)
अगर परिवार में किसी को पैनिक डिसऑर्डर है, तो अगली पीढ़ी में भी यह हो सकता है।
3. न्यूरोलॉजिकल असंतुलन (Brain Chemistry Imbalance)
मस्तिष्क में सेरोटोनिन और नॉरएड्रेनालाईन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन से भी यह समस्या हो सकती है।
4. कैफीन और नशे का अधिक सेवन
ज्यादा कैफीन, शराब, धूम्रपान या ड्रग्स लेने से भी पैनिक अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
5. फोबिया या किसी ट्रॉमेटिक घटना का असर
किसी भयानक घटना, बचपन के ट्रॉमा या फोबिया (जैसे – बंद जगह का डर, ऊंचाई का डर) के कारण भी पैनिक अटैक हो सकता है।
पैनिक अटैक से बचने के असरदार उपाय
पैनिक अटैक से बचने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव, सही खान-पान और रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाना जरूरी है।
1. डीप ब्रीदिंग (गहरी सांस लें)
जब भी पैनिक अटैक महसूस हो, गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें।
नाक से गहरी सांस लें (4 सेकंड)
सांस रोकें (4 सेकंड)
मुंह से धीरे-धीरे छोड़ें (6 सेकंड)
इससे दिल की धड़कन सामान्य होगी और घबराहट कम होगी।
2. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन करें
रोजाना ध्यान (Meditation) और योग करने से दिमाग शांत रहता है।
माइंडफुलनेस टेक्नीक अपनाएं – खुद को वर्तमान में फोकस करें, चीजों को महसूस करें।
3. हेल्दी डाइट अपनाएं
विटामिन B, मैग्नीशियम और ओमेगा-3 युक्त डाइट लें।
जंक फूड, ज्यादा कैफीन और मीठे पदार्थों से बचें।
ज्यादा पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें।
4. एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं
रोजाना 30 मिनट की वॉक या एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क के केमिकल संतुलित रहते हैं और चिंता कम होती है।
योग और स्ट्रेचिंग भी बहुत फायदेमंद हैं।
5. पॉजिटिव सेल्फ-टॉक और थिंकिंग
जब पैनिक अटैक आए तो खुद से कहें:
“मैं सुरक्षित हूं। यह बस कुछ मिनटों का मामला है।”
“यह अटैक मेरी जान नहीं ले सकता, मैं इसे संभाल सकता हूं।”
पॉजिटिव और हेल्दी सोच रखने से धीरे-धीरे डर कम होने लगेगा।
6. प्रोफेशनल मदद लें
अगर पैनिक अटैक बार-बार हो रहे हैं, तो मनोचिकित्सक (Psychologist/Psychiatrist) से सलाह लें।
CBT (Cognitive Behavioral Therapy) पैनिक अटैक के लिए एक बेहतरीन इलाज है।
जरूरत पड़ने पर एंटीडिप्रेसेंट या एंटी-एंग्जायटी मेडिसिन्स ली जा सकती हैं।
पैनिक अटैक को हल्के में न लें, यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। समय रहते सही लाइफस्टाइल अपनाने, तनाव कम करने और सही उपचार लेने से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।