नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात हुए भीषण हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल थे। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने इस हादसे की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, शिवगंगा एक्सप्रेस के प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना होने के बाद स्टेशन पर भीड़ अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गई। प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ के कारण प्लेटफार्म 12, 13, 14, 15 और 16 तक जाने वाले रास्ते पूरी तरह जाम हो गए।
गलत अनाउंसमेंट बना हादसे की वजह?
रिपोर्ट में बताया गया कि RPF इंस्पेक्टर ने स्टेशन डायरेक्टर को सलाह दी थी कि स्पेशल ट्रेन को जल्दी रवाना किया जाए ताकि भीड़ को कंट्रोल किया जा सके। उन्होंने प्रयागराज जाने वाली ट्रेन के लिए हर घंटे में 1500 टिकट बेच रही रेलवे की टीम को टिकट बिक्री रोकने के लिए भी कहा था।
लेकिन असली अफरातफरी तब मची जब अनाउंसमेंट में अचानक बदलाव कर दिया गया।
रात 8:45 बजे अनाउंसमेंट हुआ कि प्रयागराज के लिए कुंभ स्पेशल ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 12 से जाएगी।
कुछ ही देर बाद फिर घोषणा हुई कि ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर 16 से जाएगी।
इसकी वजह से यात्रियों में भगदड़ मच गई और फुट ओवर ब्रिज नंबर 2 और 3 पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
कैसे हुआ हादसा?
गलत अनाउंसमेंट के बाद यात्री तेजी से प्लेटफॉर्म बदलने लगे।
कुछ यात्री फुट ओवर ब्रिज पर चढ़ रहे थे, तो वहीं दूसरी ट्रेन के यात्री सीढ़ियों से उतर रहे थे।
इसी बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई और भगदड़ मच गई।
यह हादसा रात 8 बजकर 48 मिनट पर हुआ।
खराब सीसीटीवी और स्टाफ की कमी बनी बड़ी चूक
हादसे की शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि जहां भगदड़ हुई वहां का सीसीटीवी कैमरा खराब था। इस कारण कोई वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं है। हालांकि, एस्केलेटर के पास लगे कैमरे काम कर रहे थे।
इसके अलावा, भीड़ नियंत्रण के लिए RPF के 270 जवान तैनात होने चाहिए थे, लेकिन मौके पर सिर्फ 80 जवान ही मौजूद थे। बाकी के जवानों को प्रयागराज में ड्यूटी पर भेज दिया गया था।
NDLS पर हर दिन 7000 टिकट बुक, भगदड़ के दिन हुआ रिकॉर्ड ब्रेक!
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर दिन शाम 6 से 8 बजे के बीच औसतन 7000 टिकट बुक होते हैं। लेकिन 15 फरवरी को यह संख्या 9,600 पार कर गई, जो कि सामान्य से 2600 ज्यादा थी।
इसके चलते अजमेरी गेट साइड के प्लेटफार्म पर भीड़ अचानक बहुत ज्यादा हो गई। खासकर प्रयागराज सहित पूर्वी भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों के यात्रियों का जमावड़ा लग गया।
त्योहारी सीजन में भीड़ बढ़ना आम बात है, लेकिन इस बार प्रशासन भीड़ नियंत्रण में नाकाम साबित हुआ, जिसका नतीजा 20 लोगों की दर्दनाक मौत के रूप में सामने आया।
अब सवाल ये है:
क्या रेलवे प्रशासन से ये गलती रोकी नहीं जा सकती थी?
गलत अनाउंसमेंट और कम स्टाफ के चलते जान गंवाने वालों की भरपाई कौन करेगा?
क्या आने वाले त्योहारों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे?
रेलवे प्रशासन और सरकार को अब सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और लोगों की जान बचाई जा सके!
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