कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक विवाद: ‘भारत माता की अवधारणा’ पर नाराजगी

कर्नाटक के धारवाड़ जिले में स्नातक प्रथम सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में शामिल बेलागु 1 नामक पाठ्यपुस्तक को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कर्नाटक लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने इस पुस्तक के राष्ट्रीयता अध्याय पर आपत्ति जताते हुए औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। एसोसिएशन का आरोप है कि यह अध्याय भारतीय एकता को कमजोर करता है और विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है।

पुस्तक पर क्या हैं आरोप?
शिकायत के अनुसार, पुस्तक का यह अध्याय संघ परिवार, राम मंदिर निर्माण और भारत माता जैसी पूजनीय अवधारणाओं की आलोचना करता है। आलोचकों का कहना है कि इसमें भारत माता को केवल हिंदुओं के लिए एक प्रतीक के रूप में दिखाया गया है, जो सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ावा देता है। साथ ही, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है।

राज्यपाल और कुलपति को शिकायत
वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण जोशी ने कर्नाटक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केबी गुडासी और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर इस विवादित पाठ्यक्रम को तुरंत हटाने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्या है ‘भारत माता की अवधारणा’ पर विवाद?
पुस्तक का भारतम्बेया कल्पने (भारत माता की अवधारणा) शीर्षक वाला खंड सबसे ज्यादा विवादों में है। आरोप है कि इसमें भारत माता को सिर्फ हिंदुओं का प्रतीक बताया गया है, जिससे मुस्लिम, सिख और जैन जैसे अन्य समुदायों को हाशिए पर रखा गया है। शिकायत के मुताबिक, इस चित्रण से यह संदेश मिलता है कि भारत माता की जय का नारा लगाने का अधिकार केवल एक समुदाय के पास है।

‘राष्ट्रवाद के मिथक’ और अन्य विवादित हिस्से
पुस्तक के “राष्ट्रवाद के काल्पनिक चेहरे – एकरूपता के मिथक” और “अलगाव की भावना” शीर्षक वाले खंडों को भी विवादास्पद बताया गया है। आरोप है कि इनमें राष्ट्रवाद को हिंदू धर्म के साथ जोड़कर अल्पसंख्यकों के योगदान की अनदेखी की गई है।

“राष्ट्रवाद – जिंगोइज़्म” शीर्षक वाले खंड में भारत की उपलब्धियों जैसे परमाणु शक्ति और अंतरिक्ष मिशन को आक्रामक राष्ट्रवाद का हिस्सा बताया गया है।

जोशी का तर्क
अरुण जोशी का कहना है कि इस तरह की कथाएं सामाजिक मुद्दों जैसे गरीबी और बेरोजगारी से ध्यान भटकाने का काम करती हैं। उन्होंने कहा, “पाठ्यपुस्तक हिंदू भावनाओं और गरिमा के खिलाफ है। कांग्रेस पार्टी एक ओर गांधी के सिद्धांतों का पालन करने का दावा करती है और खुद को हिंदू घोषित करती है, लेकिन दूसरी ओर ऐसी पाठ्यपुस्तकों का समर्थन करती है, जो समाज को गुमराह करती हैं। ऐसी सामग्री को तुरंत हटाया जाना चाहिए।”

यह भी पढ़ें:

टी20 सीरीज का पहला मैच: क्या गौतम गंभीर टीम इंडिया की किस्मत बदल पाएंगे