जाने-माने फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा को मुंबई की एक कोर्ट ने तीन महीने की सजा सुनाई है। यह मामला 2018 में श्री नाम की कंपनी द्वारा दर्ज करवाया गया था, जिस पर सात साल तक सुनवाई चली। कोर्ट ने वर्मा को 3.72 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
7 साल पुराने मामले में सुनवाई
राम गोपाल वर्मा, जो इन दिनों अपनी मशहूर फिल्म ‘सत्या’ की री-रिलीज़ को लेकर चर्चा में थे, एक पुराने विवाद में फंस गए। मामला 2018 का है, जब श्री नाम की कंपनी ने वर्मा पर चेक बाउंस का केस दर्ज करवाया था। 21 जनवरी को कोर्ट ने उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया, लेकिन वर्मा अदालत में पेश नहीं हुए। इसके बाद कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए तीन महीने की सजा सुनाई।
राम गोपाल वर्मा का बयान
सजा के बाद, राम गोपाल वर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा,
“मेरे और अंधेरी कोर्ट के मामले को लेकर जो खबरें चल रही हैं, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह मेरे पूर्व कर्मचारी से संबंधित है। यह 2.38 लाख रुपये की राशि का 7 साल पुराना मामला है। मेरे वकील इस पर काम कर रहे हैं। चूंकि मामला अदालत में है, मैं इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता।”
उन्होंने एक और पोस्ट में लिखा,
“यह केवल 2.38 लाख रुपये के निपटान का मामला नहीं है, बल्कि विवाद गढ़ने और शोषण की कोशिश का मुद्दा है। मैं फिलहाल इतना ही कहना चाहता हूं।”
कोर्ट का फैसला और मुआवजा देने का निर्देश
मुंबई की कोर्ट ने वर्मा को निर्देश दिया है कि वे शिकायतकर्ता को तीन महीने के भीतर 3.72 लाख रुपये का मुआवजा दें। अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।
‘सत्या’ की री-रिलीज़ के बीच विवाद
राम गोपाल वर्मा, जो ‘सत्या’ जैसी कल्ट क्लासिक फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, इस समय फिल्म की री-रिलीज़ पर काम कर रहे थे। हालांकि, यह मामला उनके लिए बड़ी परेशानी बन गया है।
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