महाराष्ट्र की राजनीति में खींचतान: शिंदे और फडणवीस के बीच पालक मंत्री का विवाद

महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। सत्तारूढ़ गठबंधन में, खासकर महायुति (भाजपा, शिंदे गुट और अजित पवार गुट) के भीतर तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बार विवाद का केंद्र पालक मंत्री पद है। नाशिक और रायगढ़ जिलों के प्रभार को लेकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच खींचतान जारी है।

पालक मंत्री पद पर असहमति
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नाशिक का प्रभार भाजपा नेता गिरीश महाजन और रायगढ़ का प्रभार अजित पवार गुट की नेता और महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे को सौंपा है। लेकिन, शिंदे गुट ने इस फैसले पर कड़ा विरोध जताया है।

एकनाथ शिंदे ने इन पदों पर अपने गुट के नेताओं को नियुक्त करने की मांग की थी।

नाशिक के लिए शिंदे चाहते थे कि उनके कैबिनेट मंत्री दादा भूसे को प्रभार दिया जाए।
रायगढ़ के लिए उन्होंने अपने करीबी नेता भरत गोगावले का नाम प्रस्तावित किया।
लेकिन, इन मांगों को नजरअंदाज करने के बाद शिंदे ने नाराज होकर सातारा में अपने गांव में डेरा डाल लिया है।

सातारा में शक्ति प्रदर्शन की तैयारी
जानकारी के अनुसार, शिंदे कल (मंगलवार) मुंबई स्थित सरकारी निवास मुक्तागिरी में महाड क्षेत्र के अपने नाराज समर्थकों से शाम 5 बजे मुलाकात करेंगे।
इससे पहले, रायगढ़ जिले में भरत गोगावले के समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मुंबई-गोवा एक्सप्रेस हाईवे पर आगजनी कर सड़क जाम कर दिया।

नाराज कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया
रायगढ़ और नाशिक जिलों के शिंदे गुट समर्थकों में काफी नाराजगी है।

रायगढ़ के कई पदाधिकारियों ने पार्टी पदों से इस्तीफा देने की धमकी दी है।
नाशिक के समर्थक भी पालक मंत्री पद पर दादा भूसे को नियुक्त न किए जाने से नाराज हैं।
महायुति में बढ़ता तनाव
सीएम फडणवीस इस समय विदेश दौरे पर हैं, जबकि महाराष्ट्र की राजनीति में अस्थिरता बढ़ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उपमुख्यमंत्री शिंदे अपने नाराज कार्यकर्ताओं को कैसे समझाते हैं।
यह विवाद महायुति के भीतर भाजपा, शिंदे गुट और अजित पवार गुट के बीच बढ़ते मतभेदों को उजागर करता है।

क्या महायुति पर असर पड़ेगा?
महायुति की सरकार पहले भी कई बार आंतरिक खींचतान का सामना कर चुकी है। पालक मंत्री पद का यह विवाद सरकार में शामिल दलों के बीच विश्वास और संतुलन की चुनौती को सामने लाता है। अब यह देखना होगा कि यह विवाद समाधान की ओर जाएगा या महायुति के लिए नई मुश्किलें खड़ी करेगा।

निष्कर्ष
महाराष्ट्र की राजनीति में यह विवाद बताता है कि गठबंधन सरकार में शामिल पार्टियों के लिए संतुलन बनाए रखना कितना मुश्किल है। शिंदे गुट के समर्थकों की नाराजगी और बढ़ते प्रदर्शन ने सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस विवाद का हल कैसे निकलता है।

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