पिता की शर्त और खुद की मेहनत: कैसे शाहिद बने बॉलीवुड के चमकते सितारे

शाहिद कपूर आज हिंदी सिनेमा के सबसे कामयाब और प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक हैं। उनकी फिल्म “देवा” जल्द ही बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली है। लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर आसान नहीं रहा। बैकग्राउंड डांसर और टीवी एड में छोटे-छोटे रोल करने वाले शाहिद कपूर ने मेहनत और लगन के दम पर खुद को एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया है।

पारिवारिक जीवन और शुरुआती संघर्ष
शाहिद कपूर, दिग्गज अभिनेता पंकज कपूर और नीलिमा अजीम के बेटे हैं। पंकज कपूर और नीलिमा अजीम के तलाक के बाद शाहिद अपने नाना-नानी के साथ दिल्ली में रहने लगे। बाद में, जब उनकी मां ने अभिनेता राजेश खट्टर से शादी की, तो वह मुंबई आ गए।

शाहिद पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन डांस का जुनून उन्हें बचपन से था। उनके पिता ने उन्हें डांस क्लास जॉइन करने की शर्त पर 80% मार्क्स लाने को कहा। शाहिद ने मेहनत की और शानदार मार्क्स लाकर अपने सपने की तरफ पहला कदम बढ़ाया।

पहला ब्रेक: पेप्सी का विज्ञापन
10 साल की उम्र में डांस सीखने वाले शाहिद का पहला बड़ा ब्रेक तब आया, जब वह अपने दोस्त के साथ ऑडिशन के लिए गए। मेकर्स को शाहिद का लुक पसंद आ गया और उन्होंने शाहरुख खान, काजोल, और रानी मुखर्जी के साथ पेप्सी के विज्ञापन में शाहिद को कास्ट कर लिया। यही से उनके करियर की शुरुआत हुई।

बैकग्राउंड डांसर से मुख्य अभिनेता तक का सफर
शाहिद ने “दिल तो पागल है” और “ताल” जैसी फिल्मों में बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम किया। लेकिन उनकी असली शुरुआत रमेश तौरानी की फिल्म “इश्क-विश्क” से हुई। यह फिल्म हिट रही और शाहिद को पूरे देश में पहचान मिली। हालांकि इसके बाद उनकी 6 फिल्में लगातार फ्लॉप रहीं।

साल 2006 में आई फिल्म “चुप चुपके” ने उनके करियर को नई दिशा दी। इसके बाद “विवाह,” “जब वी मेट,” “हैदर,” और “कबीर सिंह” जैसी सुपरहिट फिल्मों ने उन्हें इंडस्ट्री का बड़ा सितारा बना दिया।

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