- कंपनी एफडी या बैंक एफडी: कहां बेहतर है आपका पैसा?
- बैंक और कॉरपोरेट एफडी में अंतर: ब्याज, सुरक्षा, और फायदे
- कंपनी एफडी बनाम बैंक एफडी: ज्यादा ब्याज या ज्यादा सुरक्षा?
- कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट: जानिए क्यों है ये बैंक एफडी से अलग
- कॉरपोरेट एफडी: ज्यादा मुनाफा, लेकिन क्या है जोखिम?
बैंक एफडी वर्षों से लोगों के बीच निवेश का एक लोकप्रिय विकल्प रही है। लेकिन क्या आप कंपनी या कॉरपोरेट एफडी के बारे में जानते हैं? दरअसल, कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक एफडी से अलग होती है। इसमें ब्याज दर अधिक मिलती है, लेकिन सुरक्षा थोड़ी कम होती है।
कॉरपोरेट एफडी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) और स्मॉल फाइनेंस बैंकों द्वारा जारी की जाती है, और इसे कंपनी फिक्स्ड डिपॉजिट या कॉरपोरेट एफडी कहा जाता है।
बैंक एफडी की तुलना में कॉरपोरेट एफडी पर ज्यादा ब्याज मिलता है, लेकिन पैसों की सुरक्षा एनबीएफसी की साख पर निर्भर करती है। केवल उच्च रेटिंग वाली एनबीएफसी की कंपनी एफडी को अधिक सुरक्षित माना जाता है।
बैंक एफडी में जोखिम कम होता है क्योंकि भारत सरकार बैंक एफडी पर 5 लाख रुपये तक का बीमा देती है। कॉरपोरेट एफडी में समय से पहले निकासी पर ज्यादा जुर्माना लग सकता है, और कुछ एफडी समय से पहले निकासी की सुविधा नहीं देती हैं।
इसके विपरीत, बैंक एफडी बेहतर लिक्विडिटी ऑप्शन देती हैं, जिससे आप कम जुर्माने के साथ पैसे निकाल सकते हैं। इसके अलावा, कुछ बैंक एफडी में 5-10 साल की लॉक-इन अवधि पर टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं, जबकि कॉरपोरेट एफडी पर ऐसी कोई टैक्स छूट नहीं मिलती।