प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अधिकारियों के लिए एक नया सर्कुलर जारी किया है। जांच एजेंसी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि समन पर बुलाए गए लोगों से अनियमित समय पर पूछताछ न करें और न ही अपने कार्यालय में घंटों इंतजार कराएं। बता दें, बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सर्कुलर 11 अक्तूबर को जारी किया गया था।
क्या है मामला?
गौरतलब है, इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी चर्चा के केंद्र में है। उसके निशाने पर बिजनेसमैन से लेकर कई नेता हैं। केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई को लेकर कई दफा सवाल खड़े हो चुके हैं, जिसको लेकर उसे विरोध का सामना भी करना पड़ा है। कुछ महीने पहले ईडी के देर रात हुए एक्शन को बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानवाधिकार का उल्लंघन बताया था।
कोर्ट का कहना था कि वह इस तरह की प्रथा को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी। हाईकोर्ट में 64 वर्षीय शख्स ने याचिका दायर कर कहा था कि उसे ईडी ने तलब किया और आधी रात तक इंतजार कराया। इस पर अदालत ने कहा था कि नींद का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है और इसे पूरा न करने देना किसी व्यक्ति के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। दरअसल, जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की पीठ 64 वर्षीय गांधीधाम निवासी राम कोटुमल इसरानी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी।
अब ईडी ने दी दलील
ईडी ने बाद में अदालत को बताया कि उसने इस संदर्भ में 11 अक्तूबर को एक नया सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ईडी के अधिकृत अधिकारी या जांच अधिकारी (आईओ) को दस्तावेजों के साथ अच्छी तरह से तैयार रहना चाहिए और नियत तारीख और समय पर तलब किए गए व्यक्ति से पूछताछ करने के लिए प्रश्नावली भी देनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी को समन के अनुपालन की तारीख और समय तय करने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस व्यक्ति को तलब किया गया है, उससे नियत समय और तारीख पर पूछताछ की जाए। साथ ही उसे घंटों इंतजार नहीं कराया जाए।
धन शोधन अपराध के मामले में यह कदम उठाएगी ईडी
इसके अलावा, धन शोधन अपराध की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, जहां कोई व्यक्ति ऑनलाइन उपकरणों का उपयोग करके या मोबाइल फोन या अन्य डिजिटल मीडिया का उपयोग करके अपराध की आय को स्थानांतरित या छिपा सकता है या कम समय में डिजिटल साक्ष्य को नष्ट कर सकता है, जांच अधिकारी समन किए गए व्यक्ति से जल्द ही, आदर्श रूप से उसी दिन या अगले दिन पूछताछ समाप्त करने की कोशिश करेगी। यह रुख तलब किए गए व्यक्ति को अपराध से अर्जित धन को छिपाने या मनगढ़ंत स्पष्टीकरण देने का अवसर कम कर सकता है।
इसमें कहा गया है कि जांच अधिकारी को ‘सांसारिक समयों’ के दौरान तलब किए गए व्यक्ति का बयान दर्ज करना चाहिए, जो कि रात में बहुत देर तक खींचने के बजाय कार्यालय समय के दौरान होता है.
वरिष्ठ नागरिकों से सीमित समय में करें पूछताछ
सर्कुलर के अनुसार, जांच अधिकारी को नियमित समय के दौरान बुलाए गए व्यक्ति का बयान दर्ज करना चाहिए, न कि देर रात तक। वरिष्ठ नागरिकों, गंभीर चिकित्सा स्थिति वाले व्यक्तियों, बीमार या अशक्त (मेडिकल रिकॉर्ड या स्थिति के सत्यापन के अधीन) की जांच को सामान्य घंटों तक सीमित किया जाना चाहिए और यह सही होगा कि जांच को अगली तारीख या किसी अन्य सहमत तारीख तक स्थगित कर दिया जाए।
इस मामले में ‘समय से परे’ कर सकते हैं बयान दर्ज
इसमें आगे कहा गया कि असाधारण परिस्थितियों में जहां जांच अधिकारी के पास ऐसी विश्वसनीय सूचना या सामग्री है कि अगर व्यक्ति को जांच पूरी किए बिना जाने की अनुमति दी जाती है तो वह सबूतों को नष्ट कर देगा या समन किए गए या फरार व्यक्ति के साक्ष्य या पिछले आचरण को नष्ट कर देगा या जांच में शामिल नहीं हो सकता है, तो आईओ केस फाइल पर इस तरह के कारण दर्ज करने और एक वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी लेने के बाद समय से परे बयान दर्ज कर सकता है
14 अक्तूबर तक सर्कुलर को एक्स पर करें जारी
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के. चव्हाण और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ ने ईडी से कहा कि वह 14 अक्तूबर को याचिका का निपटारा करते हुए जारी अपने अंतिम आदेश में इस सर्कुलर को अपनी वेबसाइट और एक्स हैंडल पर लगाए। ईडी के पास पीएमएलए, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत मामले की जांच से जुड़े लोगों और आरोपियों से पूछताछ करने की शक्ति है।
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