पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावित संवैधानिक संशोधनों को चुनौती देने वाली संयुक्त याचिका आज खारिज कर दी। उल्लेखनीय है कि सरकार के बहुचर्चित संवैधानिक पैकेज का लक्ष्य एक संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना करना और पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) के लिए तीन साल का कार्यकाल निर्धारित करना है।
जियो न्यूज के अनुसार, चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा की अध्यक्षता और जस्टिस नईम अख्तर अफगान और जस्टिस शाहिद बिलाल हसन की सदस्यता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने आज संयुक्त याचिका पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने इस याचिका को वापस लेने के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उसे खारिज कर दिया। प्रस्तावित संवैधानिक संशोधनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और पाकिस्तान बार काउंसिल के वर्तमान सदस्य आबिद एस जुबैरी और अन्य काउंसिल सदस्यों ने याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान वकील हामिद खान ने पीठ से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। इस पर सीजेपी ने आश्चर्य जताया कि क्या याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका वापस लेने के लिए केवल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता हामिद को नियुक्त किया था। उन्होंने कहा कि आबिद जुबैरी स्वयं याचिका वापस ले सकते थे। छह वकीलों ने याचिका दायर की थी। वे इसे वापस लेने के लिए स्वयं अदालत के समक्ष उपस्थित हो सकते थे। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल सभी याचिकाएं वापस लेना चाहते हैं।
आबिद एस जुबैरी ने पाकिस्तान बार काउंसिल के अन्य सदस्यों के साथ 16 सितंबर को संविधान के अनुच्छेद 184(3) के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से यह घोषित करने का अनुरोध किया था कि शक्तियों का पृथक्करण, न्यायिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों को लागू करने का अधिकार संविधान के तहत पवित्र है और इसे वापस लेने, इसमें हस्तक्षेप करने या किसी भी तरह से बदलाव करने की संसद की शक्ति से परे है। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने अदालत से विधेयक के माध्यम से पेश किए गए प्रस्तावित संशोधनों को असंवैधानिक और संविधान की मूल संरचना, शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत, न्यायिक स्वतंत्रता और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन घोषित करने के लिए कहा था।
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