भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बुधवार को कहा कि ब्याज की ऊंची दर वृद्धि को प्रभावित नहीं कर रही और आर्थिक गतिविधियां टिकाऊ बनी हुई हैं।
दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘इस समय हमें ऊंची ब्याज दर से वृद्धि पर असर पड़ने का कोई सबूत नहीं दिख रहा है। वृद्धि मजबूत बनी हुई है। निवेश के इरादे स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।’’
आरबीआई ने लगातार दसवीं बार नीतिगत दर को यथावत रखने का फैसला किया है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अपना रुख बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया है। यह संभवत: आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में कटौती का संकेत है।
उन्होंने कहा, ‘‘ऊंची ब्याज दर डेढ़ साल से अधिक समय से बनी हुई है…लेकिन वृद्धि मजबूत और स्थिर है।’’
आरबीआई ने अप्रैल, 2023 से मानक ब्याज दर पर यथास्थिति को कायम रखा है। नीतिगत दर में पिछली बढ़ोतरी फरवरी, 2023 में 0.25 प्रतिशत की हुई थी। उस वृद्धि के बाद रेपो दर 6.5 प्रतिशत हो गयी थी।
देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत रही और चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि जमा दरें, रेपो दर के अनुरूप होगी और मौद्रिक नीति के आधार पर उनका रुख तय होता है।
उन्होंने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि जमा दरें उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी हैं। ये बैंकों या एनबीएफसी द्वारा लिए जाने वाले वाणिज्यिक निर्णय हैं।
दास ने कहा कि आने वाले समय में नीतिगत दर पर निर्णय वृद्धि-मुद्रास्फीति की स्थिति से निर्धारित होगा।
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