प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बाजार नियामक सेबी के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें रियल एस्टेट कंपनी ओमेक्स, उसके चेयरमैन रोहतास गोयल, प्रबंध निदेशक मोहित गोयल एवं अन्य को कंपनी के वित्तीय विवरणों में गलत जानकारी देने के लिए प्रतिभूति बाजार से दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के 30 जुलाई को पारित आदेश को ओमेक्स और अन्य ने सैट के समक्ष चुनौती दी थी।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस अपील पर एक अक्टूबर को सुनाए अपने फैसले में कहा, ‘‘अगर अपीलकर्ता चार सप्ताह के भीतर जुर्माना राशि जमा कर देते हैं तो आदेश के पैराग्राफ संख्या 41 (1) और (2) में दिए गए निर्देश पर रोक रहेगी।’’
इस आदेश का पैराग्राफ 41(1) और (2) प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित किए जाने और किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी के प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्ति के रूप में कोई भी पद धारण करने से रोकने से संबंधित है।
सेबी ने अपने फैसले में ओमेक्स, रोहतास गोयल, मोहित गोयल और तीन अन्य – सुधांशु एस बिस्वाल, अरुण कुमार पांडे और विमल गुप्ता को दो साल के लिए प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया था।
इसके अलावा इन पांच व्यक्तियों को दो साल के लिए किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी के निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया था।
सेबी ने इन छह लोगों समेत 16 इकाइयों पर कुल 47 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। जुर्माने की राशि एक लाख से सात लाख रुपये तक थी।
सेबी ने कहा था कि इन इकाइयों ने ‘‘एक धोखाधड़ी योजना को अंजाम देने के लिए मिलकर काम किया है। उन्होंने कंपनी के लाभ के लिए सामान्य लेनदेन के रूप में दिखाने की कोशिश की जबकि कंपनी घाटे में चल रही थी।’’
ओमेक्स ने 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान अपने विभिन्न मदों- राजस्व, देनदारी, अग्रिम और व्यय के माध्यम से वित्तीय विवरणों को गलत तरीके से पेश किया था। इस धोखाधड़ी का खुलासा कभी भी ओमेक्स के शेयरधारकों को नहीं किया गया।
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