गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (जीसीसीआई) ने उच्चतम न्यायालय के खनिज कराधान पर फैसले की तत्काल समीक्षा की मांग की है। जीसीसीआई का कहना है कि खनन की लागत बढ़ने से इस्पात, बिजली और सीमेंट सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी।
पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने राज्यों को एक अप्रैल, 2005 से राज्यों को खनिज वाली जमीन पर केंद्र और खनन कंपनियों से रॉयल्टी पर पिछले बकाया वसूलने की अनुमति दी थी।
जीसीसीआई ने बयान में कहा, ‘‘इस फैसले द्वारा जो अनुमति दी गई है उसके चलते यदि किसी तरह का अतिरिक्त कर/उपकर/लेवी लगाई जाती है, तो इससे खनन परिचालन का अर्थशास्त्र प्रभावित होगा और संभवत: यह खनन कार्य की व्यवहार्यता को प्रभावित करेगा।’’
जीसीसीआई ने बयान में कहा, ‘‘इसके अतिरिक्त, खनन की बढ़ी हुई लागत अनिवार्य रूप से आवश्यक वस्तुओं जैसे इस्पात, बिजली, सीमेंट आदि की कीमतों में वृद्धि करेगी, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।’’
जीसीसीआई का कहना है कि इससे डाउनस्ट्रीम उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और खनन लागत में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिसका असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
हालांकि, जीसीसीआई ने कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करता है, लेकिन उसका मानना है कि इस फैसले के भविष्य में देशभर में खनन उद्योग के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, जिसमें गोवा भी शामिल है, जो 2018 में खनन प्रतिबंध के बाद के प्रभावों से अभी तक उबर नहीं पाया है।
गोवा में लौह अयस्क खनन छह साल के लंबे अंतराल के बाद शुरू हो रहा है। ऐसे में इस फैसले से यह उद्योग प्रभावित होगा।
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