प्रभावशाली देशों के समूह ने जी-20 देशों से जलवायु कोष बढ़ाने का आग्रह किया

प्रभावशाली देशों के एक समूह ने जी-20 देशों से जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तपोषण के समग्र कोष को बढ़ाने तथा जीवाश्म ईंधन में निवेश से तत्काल हाथ खींच लेने का आग्रह किया है।

जी-20 समूह को लिखे पत्र में, उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन (एचएसी) ने कहा कि सभी देशों को जलवायु संकट से निपटने के वास्ते यथासंभव अधिक से अधिक धन जुटाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, क्योंकि वे अजरबैजान के बाकू में आयोजित सीओपी-29 में जलवायु कोष पर एक नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) निर्धारित करने के उद्देश्य से एकत्रित हो रहे हैं।

एनसीक्यूजी वह नई धनराशि है जिसे विकसित देशों को विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के लिए 2025 से प्रतिवर्ष जुटाना होगा।

जर्मनी के बॉन में आयोजित अर्धवार्षिक संयुक्त राष्ट्र वार्ता और बाकू में तकनीकी चर्चाओं में धीमी प्रगति ने सम्मेलन में एक महत्वाकांक्षी नए जलवायु कोष लक्ष्य को निर्धारित करने की संभावना पर संदेह पैदा कर दिया है।

एचएसी ने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 देश के पास “हमारे ग्रह के भविष्य की दिशा बदलने” की शक्ति, संसाधन और जिम्मेदारी है। जी-20 देश वैश्विक उत्सर्जन के लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में उनकी हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है।

गठबंधन ने कहा, “हम जी-20 से आग्रह करते हैं कि वह सभी पक्षों का नेतृत्व करते हुए सभी स्रोतों से जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तपोषण के समग्र कोष को सामूहिक रूप से बढ़ाए तथा जीवाश्म ईंधन में निवेश से तत्काल हाथ खींच ले।”

एचएसी देशों का एक प्रभावशाली लेकिन अनौपचारिक समूह है जो प्रगतिशील जलवायु और पर्यावरणीय लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

गठबंधन में शामिल देशों में एंटीगुआ और बारबुडा, बारबाडोस, चिली, कोलंबिया, फिनलैंड, फिजी, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्पेन, स्वीडन और ब्रिटेन शामिल हैं।

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