विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने असम सरकार की ओर से मुस्लिम समाज के लोगों के लिए शादी और तलाक का रजिष्ट्रेशन अनिवार्य किये जाने के फैसले का स्वागत किया है और कहा ही कि देश के अन्य राज्यों को भी इस तरह के कानून बनाने चाहिए।
राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि असम में मुस्लिम शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किये जाने से राज्य की बेटियां को शारीरिक उत्पीड़न से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा, “इसके माध्यम से बाल विवाह की प्रथा और महिला अत्याचारों पर रोक लगेगी तथा नारी सशक्तीकरण को बल मिलेगा। वास्तव में बहु विवाह को भी अपराध घोषित कर दिया, तो असम की नारियां तथा सभ्य समाज आजीवन आपके ऋणी रहेंगे।
धन्यवाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी।”
उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्य सरकारों को भी नारी कल्याणकारी इस पहल का अनुसरण करके बाल विवाह, बहु विवाह, बहु संतान तथा हलाला जैसी नारी दोहनकारी कुप्रथाओं पर अंकुश लगा कर सभी नारियों को दत्तक, तलाक, भरण पोषण, संपत्ति में हिस्सा तथा पर्दा प्रथा से मुक्ति दिलानी ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से बहु विवाह पर रोक लगाने, विवाहित महिलाओं को वैवाहिक घर में रहने, भरण पोषण आदि के अपने अधिकार का दावा करने तथा विधवाओं को पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार का अधिकार के साथ अन्य लाभ तथा विशेष अधिकारों के लिए दावा करने में भी सहायता मिलेगी। महिला सशक्तीकरण की दिशा में असम सरकार का निर्णय अभूतपूर्व और अनुकरणीय है।
उल्लेखनीय है कि असम विधानसभा ने गुरुवार (29 अगस्त) को असम मुस्लिम शादी और तलाक अनिवार्य विधेयक 2024 को पारित कर दिया। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों के लिए शादियां और तलाक रजिस्टर करने वाले 90 साल पुराने कानून- असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को रद्द हो जाएगा और मुस्लिम समाज के लोगों को शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होगा। असम कैबिनेट ने 22 अगस्त को इस बिल को मंजूरी दी थी।
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