न्यायालय ने चिकित्सकों की सुरक्षा पर राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने के लिए 10 सदस्यीय कार्यबल गठित किया

चिकित्सकों की सुरक्षा और कुशलक्षेम को राष्ट्रीय हित का मामला बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद, चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने के वास्ते मंगलवार को 10 सदस्यीय कार्य बल गठित किया।

न्यायालय ने कहा कि यह कार्यबल तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपेगा।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा और यौन हिंसा दोनों के विरुद्ध चिकित्सा प्रतिष्ठानों में संस्थागत सुरक्षा मानदंडों की कमी गंभीर चिंता का विषय है। उसने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कार्य बल के 10 सदस्यों में चिकित्सा सेवा (नौसेना) की महानिदेशक वाइस एडमिरल आरती सरिन, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी और एआईजी हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक डॉ. नागेश्वर रेड्डी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहंस, बेंगलुरु की डॉ. प्रतिमा मूर्ति, एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी तथा सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली के प्रबंध मंडल के सदस्य डॉ. सौमित्र रावत शामिल हैं।

इसके अन्य सदस्यों में पंडित बी डी शर्मा मेडिकल यूनिवर्सिटी, रोहतक की कुलपति प्रोफेसर अनिता सक्सेना, ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सापले और एम्स दिल्ली में न्यूरोलॉजी विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. पद्मा श्रीवास्तव शामिल हैं। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यबल के पदेन सदस्य होंगे।

न्यायालय ने राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) को दो शीर्षकों – चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ लैंगिक आधार पर हिंसा समेत हर प्रकार की हिंसा को रोकना और प्रशिक्षुओं, रेजीडेंट, वरिष्ठ रेजीडेंट, चिकित्सक, नर्स और सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिए काम की सम्मानजनक व सुरक्षित परिस्थितियों के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाना, के तहत एक कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय कार्य बल ऊपर उल्लिखित कार्य-योजना के सभी पहलुओं और सदस्यों द्वारा उल्लेखित किए जाने वाले किसी भी अन्य पहलू पर सिफारिशें करने के लिए स्वतंत्र होगा। वे उचित होने पर अतिरिक्त सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘एनटीएफ अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर सिफारिशों को लागू किए जाने के लिए उचित समयसीमा का भी सुझाव देगा। एनटीएफ से सभी पक्षकारों से विचार-विमर्श करने का अनुरोध किया जाता है।’’ उसने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एनटीएफ सदस्यों की यात्रा, ठहरने की व्यवस्था समेत सभी साजोसामान संबंधी सहायता, सचिवीय सहायता तथा खर्च उठाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों में अपने सचिवों के माध्यम से तथा केंद्र सरकार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के सचिव के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी अस्पतालों से जानकारी एकत्र करनी होगी कि प्रत्येक अस्पताल और प्रत्येक विभाग में क्रमशः कितने सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘उन्हें यह भी पता करना होगा कि क्या चिकित्सा प्रतिष्ठानों के प्रवेश द्वार पर सामान और व्यक्ति की जांच की व्यवस्था है। अस्पताल में आराम करने/ड्यूटी रूम की कुल संख्या और प्रत्येक विभाग में इसकी संख्या की सटीक जानकारियां भी पता करनी होगी। आराम/ड्यूटी रूम में दी जाने वाली सुविधाओं पर भी जानकारी एकत्र करनी होगी।’’

उसने कहा कि केंद्र सरकार इस आदेश के एक महीने के भीतर एक हलफनामे के साथ ये आंकड़ें जमा करें। उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परास्नातक चिकित्सक के बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में देशभर में जारी चिकित्सकों की हड़ताल के बीच इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।

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