भारतीय प्रवासियों के ऐतिहासिक दस्तावेजों की सर्वप्रथम डिजिटलीकरण परियोजना का मस्कट में सफल समापन

भारतीय दूतावास, मस्कट द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के सहयोग से ओमान में रह रहे भारतीय प्रवासियों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को संग्रहित करने के लिए एक अनूठी पहल की सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

भारतीय दूतावास परिसर में, द ओमान कलेक्शनओमान में भारतीय समुदाय की अभिलेखीय विरासत-The Oman Collection – Archival Heritage of the Indian Community in Oman’ नामक एक विशेष डिजिटलीकरण परियोजना का 19-27 मई, 2024 के बीच आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुजरात से संबंधित 32 प्रमुख प्रवासी भारतीय परिवारों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया, जिनकी उपस्थिति ओमान में कई पीढ़ियों से है। ओमान में रह रहे इन प्रवासी भारतीय परिवारों की विरासत तकरीबन 250 साल पुरानी है।

यह NAI की पहली विदेशी परियोजना थी जिसमें प्रवासी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण और संग्रहण किया गया, जो विदेश में भारतीय समुदाय के इतिहास और विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ओमान में भारतीय समुदाय

आज ओमान में लगभग 7,00,000 भारतीय रहते हैं। भारत और ओमान के बीच 5000 साल पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं। ओमान में गुजरात के कई व्यापारी परिवार मौजूद है जिनमें मुख्य रूप से गुजरात के मांडवी, सूरत और अन्य हिस्सों के परिवार शामिल है। ये परिवार ओमान के सूर, मत्तरा और मस्कट में बसे हुए हैं और आज ओमानी समाज का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। इनमें से कई परिवारों के लोग तो ओमानी नागरिक भी बन चुके हैं लेकिन बावजूद इसके ये सभी लोग अपनी मातृभूमि भारत के मज़बूत संबंध बनाए हुए हैं।

बड़ी संख्या में दस्तावेजों का डिजिटलीकरण

इस परियोजना के तहत पुराने भारतीय व्यापारी परिवारों के निजी संग्रह से 7000 से अधिक दस्तावेजों को स्कैन और डिजिटाइज किया गया। सबसे पुराना डिजिटाइज्ड दस्तावेज़ 1837 का है, जबकि अधिकांश दस्तावेज़ 19वीं शताब्दी केअंत और 20वीं शताब्दी के हैं।

डिजिटाइज किए गए दस्तावेजों में व्यक्तिगत डायरी, बहीखाता, तार, ट्रेड इन्वॉयस, पासपोर्ट, प्रमाणपत्र, खत और कई तस्वीरें आदि शामिल हैं, जो ओमान सल्तनत में भारतीय समुदाय के जीवन और उनके योगदान पर प्रकाश डालते हैं।

ये दस्तावेज़ सामूहिक रूप से ओमान में भारतीय समुदाय के इतिहास का जीवंत वर्णन करते हैं, जिसमें उनकी सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ, व्यापार एवं वाणिज्य और साथ ही ओमानी समाज में उनके योगदान एवं और विदेश में होते हुए अपनी भारतीय परंपराओं का संरक्षण शामिल है।

डिजिटाइज किए गए दस्तावेजों को संग्रहित करने के बाद NAI के डिजिटल पोर्टल ‘अभिलेखपटल’ पर अपलोड किया जाएगा, जिससे ये दस्तावेज़ शोधकर्ताओं के साथ-साथ आम जनता के लिए भी उपलब्ध हो जाएंगे।

निम्नलिखित भारतीय/भारतीय-मूल के परिवारों के निजी संग्रह को डिजिटाइज किया गया है:-

  1. रतनसी पुरषोत्तम परिवार
  2. खिमजी रामदास परिवार
  3. हरिदास नैन्से परिवार
  4. भानजी हरिदास मुंद्रावाला परिवार
  5. नारायणदास और शांता टोपरनी परिवार

6.मगन लाल मांजी व्यास परिवार

7.विजय सिंह वेलजी पवानीपरिवार

  1. लखू वेद परिवार
  2. चिमन लाल छोटा लाल सुर्ती परिवार
  3. जयंती लाल वाधर परिवार
  4. कनौजिया परिवार
  5. रमेश खिमजी परिवार
  6. विसू मल दामोदर दास परिवार
  7. विजय सिंह पुरषोत्तम टोपरानी परिवार
  8. जमनादास केशवजी परिवार
  9. नारनजी हिरजी परिवार
  10. वेलजी अर्जुन पवानी परिवार
  11. पुरषोत्तम दामोदर परिवार
  12. पंड्या परिवार
  13. मेघजी नैनशी परिवार
  14. शाह नगरदास मंजी परिवार
  15. अजित खिमजी परिवार
  16. खताऊ रतनसी टोपरानी परिवार
  17. रतनशी गोवरधन दास बजारिया परिवार
  18. हर्षेंदु हसमुख शाह परिवार
  19. खुबो गुरनानी परिवार
  20. मोहन लाल अर्जुन पवानी परिवार
  21. धनजी मोरारजी “शबिका” परिवार
  22. इब्जी सुंदरदास अशर परिवार
  23. धरमसी नेन्सी परिवार
  24. किरन अशेर परिवार
  25. बकुल मेहता परिवार

रिकॉर्ड किया गया मौखिक इतिहास

ऐतिहासिक दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के अलावा, परियोजना में भारतीय समुदाय के बुजुर्ग सदस्यों के मौखिक इतिहास को भी रिकॉर्ड किया गया है, जो भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार द्वारा की गई ऐसी पहली मौखिक इतिहास परियोजना है। इसके तहत पुराने लोगों की बातें, उनके किस्से-कहानियों, ओमान में रहते हुए उनके अनुभवों और बीते कई दशकों में ओमान में भारतीय समुदाय के विकास की कई कहानियों की एक श्रृंखला को कैप्चर किया गया है जिससे अभिलेखीय रिकॉर्ड और भी समृद्ध हो जाएंगे।

इस परियोजना की अनूठी महत्ता पर ध्यान देते हुए, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार (NAI) के महानिदेशक श्री अरुण सिंघल ने कहा, “यह पहली बार है जब हमने विदेश से प्रवासी भारतीयों के निजी अभिलेखों को संग्रहित और डिजिटाइज किया है। यह योजना NAI के लिए एक मील का पत्थर है और साथ ही विविध विदेशी भारतीय समुदायों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

ओमान में भारत के राजदूत श्री अमित नारंग ने कहा कि “यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत करने के दृष्टिकोण के साथ मेल खाती है। ओमान में भारतीय समुदाय के इतिहास का दस्तावेजीकरण और संरक्षण कर के हम अपनी साझा विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से को फिर से नया जीवन दे रहे हैं। इस योजना से सभी प्रवासी भारतीयों के साथ भारत के गहरे जुड़ाव को प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी”।

ओमान में भारतीय समुदाय के प्रमुख, शेख अनिल खिमजी ने परियोजना की अत्यंत सराहना करते हुए कहा, “हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ने और उन्हें आपस में जोड़ने के दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद करते हैं। भारतीय दूतावास द्वारा भारतीय प्रवासियों के ऐतिहासिक दस्तावेजों का संग्रहण, उनके इतिहास को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएगा। यह प्रयास इस भारत और ओमान सल्तनत के बीच दीर्घकालिक मित्रता के बंधनों को भी प्रदर्शित करेगा।”

इस पहल को ओमान की राष्ट्रीय रिकॉर्ड और अभिलेख प्राधिकरण (NRAA) का समर्थन प्राप्त है, जिसके फलस्वरूप परियोजना के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करते के लिए हर संभव सहायता और समर्थन मिला।

ऐतिहासिक अभिलेखों को संरक्षित करने के अलावा, डिजिटलीकरण परियोजना का उद्देश्य ओमान में भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ जुड़ाव को बढ़ावा देना और भारत-ओमान मित्रता की लंबे समय से चली आ रही समझ को प्रोत्साहित करना है। यह परियोजना भारतीय प्रवासियों के विकास और योगदान के बारे में बेहतर शोध को और भी सुविधाजनक बनाएगी और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करेगी।