थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को निलंबित किया जा सकता है, क्योंकि थाईलैंड के सु्प्रीम कोर्ट ने उन्हें निलंबित करने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है. 40 सीनेटरों ने फर्जीवाड़ा और संविधान के उल्लंघन के आरोप में उन्हें पद से हटाने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने गुरुवार को स्वीकार कर लिया. हालांकि, अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को 15 दिन का समय दिया है, जब तक इस मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक वह अपने पद पर बने रहेंगे.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रिश्वत लेने के मामले में जेल गए और अयोग्य पूर्व वकील पिचित चुएनबान को श्रेथा थाविसिन ने कैबिनेट में जगह दी थी, जिसका काफी दिनों से विरोध हो रहा था, इसी वजह से पिछले सप्ताह विरोध में सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा भी दे दिया था. देश में ज्यादा किरकिरी होने के बाद और श्रेथा थाविसिन को कानूनी विवादों से बचाने के लिए पिचित चुएनबान ने मंगलवार को अपने पद से रिजाइन किया था, लेकिन इसके बाद भी मामला शांत नहीं हुआ. अब कोर्ट में केस जाने पर प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन की कुर्सी जा सकती है.
बता दें कि 40 सीनेटरों ने कोर्ट में तर्क दिया कि पिछले महीने पिचित चुएनबान की कैबिनेट में नियुक्ति की गई, जो संविधान का उल्लंघन है. इनके पास मंत्री बनने की योग्यता भी नहीं थी, फिर भी कानूनी का उल्लंघन कर प्रधानमंत्री ने इन्हें कैबिनेट मिनिस्टर बनाया था. हालांकि, पिचित ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया था, ताकि श्रेथा को अदालती मामले से बचाया जा सके, लेकिन गुरुवार को कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया. बताया गया कि प्रधानमंत्री ने एक ऐसे व्यक्ति को कैबिनेट में रखा था, जो 2008 में अदालत की अवमानना के आरोप में 6 महीने जेल जा चुका था. जजों ने याचिका को स्वीकार करने के लिए 6-3 वोट दिए और मामले पर अपना पक्ष रखने के लिए श्रेथा को 15 दिन का समय दिया.
बता दें कि थाई सीनेट के 250 वर्तमान सदस्यों को जुंटा ने नियुक्त किया था, जिसने 2014 के तख्तापलट के बाद राज्य पर शासन किया था. नए सीनेटरों को चुनने के लिए अगले महीने 3 चरणों में चुनाव भी होगा. सीनेट ने पिछले साल के आम चुनाव के महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उसने पिटा लिमजारोएनराट को प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया, जिनकी मूव फॉरवर्ड पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतीं थीं, लेकिन थाकसिन की फू थाई पार्टी के श्रेथा ने सेना से जुड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई, जिस पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं.