थायराइड की समस्या से ऐसे करें अपना बचाव

थायराइड आज के दौर में एक बेहद सामान्य सी प्रॉब्लम है. यह एक तरह की लाइफस्टाइल डिजीज है जो थायराइड ग्रंथि में बदलाव के कारण होता है. थायराइड विकार में हाइपोथाइरॉएडिज्म यानी कम थायराइड और हाइपरथाइरॉयडिज़्म यानी ज्यादा थायराइड जैसी स्थितियां शामिल है.ये शरीर पर कई तरह के प्रभाव डाल सकता है.थायराइड होने पर सबसे ज्यादा जोड़ों के स्वास्थ्य प्रभावित होतेहैं. इ समें ओस्टियोआर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी प्रॉब्लम हो सकती है. अब सवाल ये है कि थायराइड होने के चलते जॉइंट में क्यों प्रॉब्लम होने लगती है. जानेंगे इस बारे में विस्तार से.

थायराइड में जॉइंट में दर्द क्यों होता है?
हाइपोथायरायडिज्म में जॉइंट पेन हो सकता है,जानकारों के मुताबिक मांसपेशियों की कमजोरी, जिसे प्रॉक्सिमल मायोपैथी भी कहा जाता है, हाइपोथायरायडिज्म का एक सामान्य लक्षण है.ये मांसपेशियों को प्रभावित करता है और जोड़ों के एलाइगमेंट को बदल सकता है.परिणामस्वरूप, जोड़ों में असामान्य तनाव हो सकता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस का विकास हो सकता है या जोड़ टूट-फूट सकते हैं,जिससे जोड़ों में दर्द और असुविधा होती है.

हाइपोथायरायडिज्म के कारण अक्सर मेटाबॉलिज्म धीमा होने के कारण वजन बढ़ जाता है. शरीर का यह अतिरिक्त वजन घुटनों और टखनों जैसे वजन सहने वाले जोड़ों पर तनाव बढ़ा देता है. ये बढ़ा हुआ स्ट्रेस कार्टिलेज औऱ जॉइंट के घिसाव को तेज कर सकता है.मोटे और अधिक वजन वाले रोगियों में गठिया और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ सकता है.

हाइपोथायरायडिज्म से रक्त में यूरिक एसिड के स्तर में वृद्धि हो सकती है, जो गठिया के विकास में योगदान कर सकता है. गाउट गठिया का एक सूजन संबंधी रूप है जो जोड़ों में यूरिक एसिड क्रिस्टल के जमा होने से उत्पन्न होता है. इसके कारण जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है.

हाइपरथायरायडिज्म का प्रभाव
वहीं हाइपरथायरायडिज्म का जोड़ों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हाइपरथायरायडिज्म कैल्शियम मेटाबॉलिज्म के संतुलन को बाधित करता है और पैराथाइरॉइड हार्मोन का उत्पादन कम कर देता है. यह असंतुलन अतिरिक्त हड्डियों हड्डी के घनत्व में कमी में योगदान देता है, जिससे गंभीर ऑस्टियोपोरोसिस होता है। गंभीर हड्डी और जोड़ों का दर्द फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है.