कम पसीना आना, जिसे एन्हाइड्रोसिस या हाइपोहाइड्रोसिस भी कहा जाता है, कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।आज हम आपको बताएँगे कम पसीने आने के कारण और इससे दूर करने का आयुर्वेदिक उपाय।
यह खतरनाक क्यों है?
- शरीर का तापमान बढ़ना: पसीना शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है। पसीना कम होने पर, शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे हीट स्ट्रोक, थकान और चक्कर आना हो सकता है।
- निर्जलीकरण: पसीना शरीर से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स निकालता है। पसीना कम होने पर, निर्जलीकरण का खतरा बढ़ जाता है, जो सिरदर्द, मांसपेशियों में ऐंठन और कमजोरी का कारण बन सकता है।
- त्वचा की समस्याएं: पसीना त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। पसीना कम होने पर, त्वचा शुष्क, खुजलीदार और चिड़चिड़ी हो सकती है।
- गंभीर बीमारियां: कुछ मामलों में, कम पसीना आना अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कि मधुमेह, तंत्रिका क्षति या कुछ दवाओं के दुष्प्रभावों का संकेत हो सकता है।
आयुर्वेदिक उपाय:
- जीवनशैली में बदलाव:
- पानी: भरपूर मात्रा में पानी और तरल पदार्थ पिएं।
- ठंडा स्नान: दिन में दो बार ठंडे पानी से स्नान करें।
- ढीले कपड़े: ढीले और हवादार सूती कपड़े पहनें।
- तनाव कम करें: योग, ध्यान और गहरी सांस लेने के व्यायाम तनाव कम करने में मदद करते हैं।
- धूप से बचें: तेज धूप से बचें और बाहर जाते समय सनस्क्रीन का उपयोग करें।
- आहार:
- खीरा, तरबूज, और खरबूजा जैसे जल-युक्त फल और सब्जियां खाएं।
- नारियल पानी पीएं।
- भारी भोजन और मसालेदार भोजन से बचें।
- जड़ी-बूटियां:
- अश्वगंधा: यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- शतावरी: यह शरीर को ठंडा करने और निर्जलीकरण को रोकने में मदद करती है।
- गुलाब जल: यह त्वचा को शांत और हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।
ध्यान दें:
- यदि आपको कम पसीना आने के साथ-साथ बुखार, चक्कर आना, या सांस लेने में तकलीफ जैसे अन्य लक्षण भी अनुभव होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- उपरोक्त जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी जड़ी-बूटी या पूरक का उपयोग शुरू करने से पहले, हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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