लिवर में सूजन या इंफेक्शन के कारण हेपेटाइटिस की समस्या देखने को मिलती है। प्रेगनेंट महिलाओं को इसका अत्यधिक खतरा रहता है, खासकर मानसून में। दरअसल, मानसून में दूषित पानी व बैक्टीरिया के कारण इस बीमारी का खतरा अधिक रहता है। आंकड़ों की मानें तो हर साल करीब 15 लाख लोग हेपेटाइटिस के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं। ऐसे में हेपेटाइटिस को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है।
महिलाओं को अत्यधिक खतरा
पुरूषों के मुकाबले महिलाओं का इम्यून सिस्टम अधिक कमजोर होता है इसलिए उन्हें इसका खतरा अधिक रहता है। प्रेगनेंसी के दौरान भी महिलाओं को इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है इसलिए उन्हें ज्यादा सावधान रहने की सलाह दी जाती है।
बढ़ जाते हैं गर्भपात के चांसेस
प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस ए के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा रहता है। कई मामलों में तो गर्भपात के चांसेस भी बढ़ जाते है। वहीं, कुछ मामलों में डिलीवरी के बाद बच्चों पर भी इसका असर देखने को मिलता है।
हेपेटाइटिस के कारण
. हेपेटाइटिस गलत खान-पान, दूषित पानी या खून के जरिए फैलता है।
. मानसून में पनपने वाले बैक्टीरिया व वायरस के कारण
. लिवर के सूजन या इंफेक्शन
. अधिक मात्रा में शराब, सिगरेट का सेवन
. कुछ दवाइयों के कारण विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते, जिससे लिवर व अन्य सूजन आ जाती है। यही इस बीमारी का कारण बनता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण
. अचानक से भूख कम लगना
. वजन कम होना
. पेट में तेज दर्द और सूजन
. त्वचा में खुजली, जलन होना
. पीलिया
. यूरिन रंग में बदलाव
. बेवजह थकान, मतली और उल्टी आना
. त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
क्या खाएं, क्या ना खाएं
डाइट में फाइबर युक्त फूड्स, नट्स, डेयरी फूड्स, जूस, बीन्स, सोया, घर का भोजन, हरी सब्जियां और फल अधिक लें। साथ ही खाना बनाने के लिए ऑलिव या कैनोला ऑयल का यूज करें। शराब, सिगरेट, फास्ट व जंक फूड्स, प्रोसेस्ड फूड्स, रेड मीट, बेक फूड्स, मक्खन, पनीर और क्रीम से परहेज करें
इन बातों का भी रखें ध्यान
प्रेगनेंसी में हेपेटाइटिस चेकअप करवाना ना भूलें, ताकि समय रहते इंजेक्शन लगाकर इसकी रोकथाम की जा सके।
प्रेग्नेंट हैं तो जंक फूड्स और बाहर की चीजों से दूरी बनाकर रखें।
पानी पीने से पहले उसे अच्छी तरह उबाल लें। हो सके तो प्यूरीफाईड पानी ही पीएं। बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी दवा या विटामिन सप्लीमेंट्स ना लें।