टीबी के कई प्रकार होते हैं, लेकिन इसका सक्रिय रूप खांसी, छींक, लार आदि के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी तेजी से फैलता है। अधिक संचारी होने के कारण टीबी विश्व स्तर पर दूसरी घातक बीमारी घोषित हो चुकी है। यह ट्यूबरक्लोसिस का सबसे आम प्रकार है। फैफड़ों में होने वाली टीबी ही सबसे ज्यादा संक्रामक होती है और बेहद आसानी से एस इंसान से दूसरे इंसान में फैलती है। इसके अलावा टीबी इम्यून सिस्टम (लिम्फ नोड्स), हड्डियों व जोड़ों, पाचन तंत्र, मूत्राशय और प्रजनन प्रणाली के साथ नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करती है। इसके लक्षण फेफड़ों वाली टीबी से कई गुना घातक होते हैं।आज हम आपको बताएंगे टीबी क्या होता है और इससे राहत पाने के आयुर्वेदिक उपाय।
ट्यूबरक्लोसिस रोग क्या होता है? (Tuberculosis Meaning in Hindi)
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक संक्रामक रोग है। यह इंसान के फेफड़ों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इसके अलावा टीबी का बैक्टीरिया किडनी और ब्रेन को भी संक्रमित कर सकता है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु से होता है।
एड्स या डायबिटीज जैसी बड़ी बीमारियों से ग्रसित लोगों को टीबी का सबसे ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा टीबी, कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को भी आसानी से अपना शिकार बना सकती है। हालांकि टीबी का इलाज व रोकथाम संभव है।
आयुर्वेद में कई उपाय और जड़ी-बूटियों का उपयोग आंतों और हड्डियों सहित टीबी के इलाज में किया जाता है। यहां कुछ आयुर्वेदिक सुझाव हैं जो टीबी से छुटकारा पाने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं:
गिलोय (Tinospora Cordifolia): गिलोय का रस एक शक्तिशाली रोगनाशक है और इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान कर सकता है। इसे नियमित रूप से सेवन करने से शरीर को टीबी के खिलाफ लड़ने में मदद मिल सकती है।
अश्वगंधा (Withania Somnifera): अश्वगंधा को “आयुर्वेदिक रसायन” कहा जाता है और इसे टीबी के इलाज में उपयोग किया जा सकता है। इसका सेवन शरीर को ताकत प्रदान करने में मदद कर सकता है और रोग के खिलाफ सुरक्षा में मदद कर सकता है।
तुलसी (Ocimum Sanctum): तुलसी को एक प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय माना जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार कर सकता है। तुलसी के पत्तों का सेवन इन्फेक्शन को दूर करने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
त्रिकटु (Trikatu): त्रिकटु एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमें काली मिर्च, पिप्पली, और सौंठ शामिल हैं। इसका सेवन खांसी और श्वास रोगों में लाभकारी हो सकता है।
शतावरी (Asparagus Racemosus): शतावरी का उपयोग श्वासरोग, फेफड़े की सूजन, और फेफड़ों के लिए किया जा सकता है।
योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम का अभ्यास करना फेफड़ों को मजबूत बनाए रख सकता है और श्वासरोगों से निपटने में मदद कर सकता है।
ध्यान रहे कि यह सुझाव केवल आम जानकारी के लिए हैं और आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल करने से पहले आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। टीबी जैसे गंभीर रोगों का उपचार और प्रबंधन केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में किया जाना चाहिए।